भारत ने पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ तैयार की

  • भारत ने पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ (Nafithromycin) तैयार की है. यह दवा समुदाय-अधिग्रहित बैक्टीरियल निमोनिया (CABP) नामक संक्रमण का तोड़ है.
  • एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन को बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) के सहयोग से विकसित किया गया है. इसे मिक्नाफ नाम से बाजार में उतारा गया है.
  • यह देश का पहला स्वदेशी रूप से विकसित एंटीबायोटिक है जिसका उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटना है. यह एजिथ्रोमाइसिन की तुलना में दस गुना अधिक प्रभावी है.
  • यह दवा CABP रोगियों के लिए दिन में एक बार, तीन दिन तक दी जाएगी. यह पहला उपचार है, जिसमें मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी (MDR) संक्रमण वाले मरीज भी शामिल हैं.
  • इस दवा पर 15 वर्षों में कई नैदानिक परीक्षण किए गए हैं. इनमें अमेरिका और यूरोप में हुए पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भी शामिल हैं. भारत में इस दवा ने हाल ही में तीसरा चरण पूरा किया था.
  • यह दवा इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि CABP के कारण हर साल लाखों की संख्या में बुजुर्ग मरीजों की मौत हो रही है.
  • वैश्विक स्तर पर CABP से सालाना मरने वालों में 23 फीसदी हिस्सा भारत का है. इसकी मृत्यु दर 14 से 30% के बीच है.
  • एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं. ये बैक्टीरिया को मारती हैं या उनके प्रजनन को रोकती हैं.
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