सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द, जानिए किन परिस्थितियों में होती है सदस्यता रद्द

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता 9 दिसम्बर को रद्द कर दी गई. लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर मोइत्रा की सदस्यता रद्द की गई है. उनपर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का मामला दर्ज किया गया था.

महुआ मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने भारतीय कारोबारी गौतम अदानी और उनकी कंपनियों के समूह को निशाना बनाने के लिए रिश्वत लेकर लगातार संसद में सवाल पूछे. ये आरोप बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए थे.

संसद सदस्यता रद्द किन परिस्थितियों में होती है?

भारतीय संसद के इतिहास में अलग-अलग दौर में कई कारणों से राज्यसभा और लोकसभा सांसदों की सदस्यता रद्द हुई है. ऐसा भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों, जन प्रतिनिधित्व से जुड़े क़ानूनों और संसदीय नियमों के तहत होता है. कमोबेश ऐसे ही नियम विधानसभा सदस्यों पर भी लागू होते हैं.

अनुच्छेद 101

  • अगर कोई सदस्य संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के लिए चुन लिया जाता है तो उसे किसी एक सदन की सदस्यता से इस्तीफ़ा देना होता है. इसी के साथ, यह भी कहा गया है कि कोई सदस्य संसद और विधानसभा, दोनों का सदस्य नहीं हो सकता.
  • अगर संसद के किसी भी सदन का सदस्य बिना इजाज़त सभी बैठकों से 60 दिनों की अवधि तक ग़ैर-हाज़िर रहता है तो उसकी सीट ख़ाली घोषित की जा सकती है.

अनुच्छेद 102

  • कोई भी सदस्य अगर भारत सरकार या राज्य सरकार में ऐसे पद पर है, जो लाभ के पद की श्रेणी में आता है तो उसे अयोग्य घोषित किया जाता है.
  • अगर कोई सांसद किसी अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए तो उसकी सदस्यता ख़त्म हो सकती है.
  • अगर कोई सांसद दीवालिया घोषित है और किसी अदालत से राहत नहीं मिली तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.
  • अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक न हो या फिर वह किसी और देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी.
  • इसके अलावा, किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता जा सकती है.
  • किसी सांसद की सदस्यता दसवीं अनुसूची (दल-बदल रोधी क़ानून) के तहत, अगर कोई सांसद उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिससे वह चुना गया है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी. हालांकि, इसके लिए अपवाद भी है. एक राजनीतिक दल किसी दूसरे दल में विलय कर सकता है, बशर्ते उसके कम से कम दो तिहाई विधायक विलय के पक्ष में हों.
  • दसवीं अनुसूची में ही यह प्रावधान किया गया है कि सांसद को अपनी पार्टी की ओर से जारी व्हिप का सम्मान करना होगा. अगर कोई सांसद किसी विषय पर मतदान के दौरान अपनी पार्टी के आदेशों का पालन ना करे या फिर वोटिंग से ग़ैर-हाजिर रहे तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम

  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में प्रावधान है कि अगर कोई सांसद कुछ क़ानूनों के तहत दो साल या इससे अधिक की सज़ा पाता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है.
  • अगर यह पाया जाए कि किसी सांसद ने अपने चुनावी हलफ़नामे में कोई ग़लत जानकारी दी है या फिर वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है.
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत इन कारणों से सदस्यता रद्द हो सकती है:
  • आरक्षित सीटों पर ग़लत प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ना, दो समूहों के बीच नफ़रत फैलाना, चुनाव प्रभावित करना, घूस लेना, बलात्कार या महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध, धार्मिक सौहार्द खराब करना, छुआछूत करना, प्रतिबंधित वस्तुओं का आयात-निर्यात.
  • संसद की आचार संहिता का उल्लंघन करने पर सदस्यता रद्द हो सकती है. संसद के दोनों सदनों में एथिक्स कमेटियां हैं, जो सांसदों के आचरण संबंधित शिकायतों की जांच कर करती हैं.
  • एथिक्स कमेटी को सदस्यों के ‘अनएथिकल’ व्यवहार की शिकायतों की जांच करके लोकसभा अध्यक्ष को सिफ़ारिशें भेजने का अधिकार है.
  • एथिक्स कमेटी को समय-समय पर नियम बनाने और उन्हें संशोधित करने का भी अधिकार है. महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता भी इसी एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश के आधार पर रद्द की गई है.