डेली कर्रेंट अफेयर्स
न्याय प्रणाली में सुधार के लिए संसद में तीन विधेयक पेश किए गए
भारत में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए गए हैं। ये विधेयक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोक सभा में प्रस्तुत किया था। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं.
ये विधेयक औपनिवेशिक काल में बने वर्तमान तीन कानूनों की जगह लेंगे. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023; और भारतीय साक्ष्य संहिता (आईईए) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभाव में आ जाएगा.
वर्तमान कानूनों में 313 बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्त बनाना है.
महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
- नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी.
- सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी.
- जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.
- राज्य में किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो.
- 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा.
- 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
- चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
- गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी.
- 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
- राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म किया गया है.
निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023
राज्य सभा में 11 अगस्त को मुख्य निवार्चन आयुक्त और अन्य निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023 पेश किया गया था. विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया था.
विधेयक का उद्देश्य मुख्य निवार्चन आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करना है.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
- इस विधेयक के मुताबिक, CEC और अन्य EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेगी। इस कमेटी में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री भी सदस्य होंगे. मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल नहीं किया गया है.
- दरअसल, इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अब CEC और EC की नियुक्ति का भी वही तरीका होगा, जो सीबीआई चीफ की नियुक्ति का है. अब तक CEC और EC की नियुक्तियां केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.
- सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि अब ये नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून ना बना दे.
- CEC और EC का वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे. वर्तमान कानून के तहत उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. वरीयता क्रम में CEC और EC को राज्य मंत्री से नीचे स्थान दिया जाएगा.
- CEC और EC की नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जो भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या रह चुके हैं.
- CEC और EC पद ग्रहण से छह साल की अवधि के लिए पद पर रहेंगे या जब तक वह 65 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, जो भी पहले हो. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे.
- जब एक चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, उसका कार्यकाल कुल मिलाकर छह साल से ज्यादा नहीं होगा. मौजूदा कानून भी उसी तर्ज पर है.
निर्वाचन आयोग (Election Commission)
- देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित करने वाला संविधान का अनुच्छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्बर 1949 को ही लागू कर दिया गया था.
- भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था. निर्वाचन आयोग लोकसभा, राज्य सभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाता है.
- भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है. संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं.
- मूल संविधान में निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था. 1 अक्तूबर, 1993 को इसे तीन सदस्यीय आयोग वाला कर दिया गया. तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
15 अगस्त 2023: देशभर में 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया
देशभर में 15 अगस्त 2023 को 77वां स्वतंत्रता दिवस (77th Independence Day) मनाया गया. इस दिन देश की स्वतंत्रता का 76 वर्ष सम्पन्न हुआ.
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का समापन हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च 2021 कोआजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ गुजरात के अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से की थी.
77वें स्वतंत्रता दिवस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से लगातार 10वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु
- राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देश से तीन बुराइयां भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण से छुटकारा पाने का आह्वान किया.
- वर्ष 2014 के 10वें स्थान से पांचवीं विश्व की सबसे बडी अर्थव्यवस्था बन गया है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले पांच वर्ष में भारत विश्व की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
- परंपरागत कौशल को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार 13 से 15 हजार करोड रूपये के आवंटन से विश्वकर्मा योजना शुरू करेगी.
- पिछले पांच वर्ष में साढे 13 करोड लोग गरीबी से बाहर आए हैं और नव मध्यम तथा मध्यम वर्ग का हिस्सा बन गए हैं.
- सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने के लिए कृषि-तकनीकी क्षेत्र के लिए एक नई योजना भी तैयार कर रही है। उन्हें ड्रोन चलाने और मरम्मत करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
- वर्ष 2047 में देश की आजादी के सौ वर्ष का जश्न विकसित भारत के तिरंगे के साथ मनाया जाएगा.
14 अगस्त 2022: पहला ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया गया
14 अगस्त 2023 को भारत में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” मनाया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2021 को 75वें स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी.
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाना है.
ब्रिटिश शासन से मुक्ति के साथ ही भारत का विभाजन हुआ था और पाकिस्तान अस्तित्व में आया था. धर्म के आधार पर भारत के विभाजन के पश्चात बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएँ हुई, जिसके कारण लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और असंख्य लोग हिंसा में मारे गये. उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया.
13 अगस्त: विश्व अंगदान दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस (World Organ Donation Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सामान्य मनुष्य को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना हैं. जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में भय और मिथक विद्यमान हैं.
27 नवम्बर को राष्ट्रीय अंगदान दिवस मनाया जाता है
27 नवम्बर को भारत में राष्ट्रीय अंगदान दिवस मनाया जाता है. 27 नवम्बर 2023 को राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोट्टो) ने देश में 14वां अंगदान दिवस (14th Organ Donation Day) मनाया था.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का हृदय गति रूकने से निधन हो गया। वे दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। बिंदेश्वर पाठक 80 वर्ष के थे। उन्होंने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस की स्थापना की और सिर पर मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए व्यापक प्रचार किया। उन्हें 1991 में पदम भूषण प्रदान किया गया था।
13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान मनाया गया
13 से 15 अगस्त तक देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान मनाया गया. यह अभियान आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत शुरू किया गया था. इस अभियान का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर लोगों को अपने घर पर राष्ट्र ध्वज फहराने के लिए प्रेरित करना था.