स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग 15 जून से लागू
स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग 15 जून से लागू हो गयी है. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ता आभूषण खरीदते समय ठगी का शिकार न हों.
स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग: मुख्य बिंदु
- अनिवार्य हॉलमार्किंग स्वर्ण आभूषणों के उपभोक्ता को आभूषणों पर अंकित शुद्धता को सुनिश्चित करती है.
- अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू होने के बाद ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी.
- नए प्रावधानों के अन्तर्गत पुराने आभूषणों की भी हॉलमार्किंग की जा सकेगी. भारत में फिलहाल केवल 30 प्रतिशत स्वर्णाभूषणों पर ही हॉलमार्क चिन्ह अंकित है.
- समूची हॉलमार्किंग योजना से संबंधित मुद्दों की देख-रेख के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. इसमें विभिन्न हितधारकों की प्रतिनिधि, राजस्व अधिकारी और विधि विशेषज्ञ शामिल होंगे.
- भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) की हॉलमार्किंग योजना के अन्तर्गत आभूषण विक्रेताओं का पंजीकरण किया जाता है जो हॉलमार्क युक्त स्वर्णाभूषणों की बिक्री कर सकते हैं.