पृथ्वी पर मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही मानव गतिविधियों से दूर
हाल ही में किये गये एक शोध से पता चला है कि पृथ्वी पर मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही मानव गतिविधियों से दूर रहा है जहाँ पारिस्थितिक रूप से (ecologically) सभी प्रकार के मूल प्रजाति (native species) का निवास है.
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह शोध ‘फ्रंटियर्स इन फारेस्ट एंड ग्लोबल चेंज’ (Frontiers in Forests and Global Change) जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
इंटैक्ट हैबिटेट क्या है?
विज्ञान की भाषा में मानव गतिविधियों से दूर भू-भाग को ‘इंटैक्ट हैबिटेट’ (Intact Habitat) कहा जाता है. पहले यह दावा किया गया था कि पृथ्वी का 40% हिस्सा इंटैक्ट हैबिटेट है. हालांकि, इस अध्ययन कहता है कि यह क्षेत्र मात्र 3% है.
इंटैक्ट हैबिटेट: शोध के मुख्य बिंदु
पृथ्वी का मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही ‘इंटैक्ट हैबिटेट’ है. यह वह क्षेत्र है जहाँ मानव गतिविधि का कोई संकेत नहीं है.
इस शोध में पाया गया है कि इंटैक्ट हैबिटेट में मौजूद प्रजातियां, आक्रामक प्रजातियों या बीमारियों के कारण समाप्त हो रही हैं. इसका तात्पर्य है कि इंटैक्ट हैबिटेट मानव गतिविधियों के बिना भी खतरों का सामना कर रहे हैं.
कार्यात्मक रूप से इंटैक्ट हैबिटेट क्षेत्र उत्तरी कनाडा, बोरेल, कांगो बेसिन अमेज़ॅन, सहारा रेगिस्तान, टुंड्रा बायोम, पूर्वी साइबेरिया हैं.