Tag Archive for: China

मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना की भारत यात्रा

मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना ने 13 से 16 अक्टूबर 2025 तक भारत की राजकीय यात्रा की थी. उन्होंने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के निमंत्रण पर यह यात्रा की.

राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा थी, जो दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई.

यात्रा के मुख्य बिन्दु

  • उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
  • यह वार्ता मुख्य रूप से रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने पर केंद्रित थी.
  • वार्ता में भारत की $1.7 बिलियन की ऋण सहायता से मंगोलिया में बन रही तेल रिफाइनरी परियोजना की प्रगति पर भी चर्चा हुई, जो मंगोलिया की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
  • दोनों देशों ने दस समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. ये समझौता ज्ञापन मानवीय सहायता, मंगोलिया में विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार, आव्रजन, भूविज्ञान और खनिज संसाधनों में सहयोग, सहकारिता को बढ़ावा देने और डिजिटल समाधानों के आदान-प्रदान के लिए हैं.
  • दोनों नेताओं ने भारत और मंगोलिया के द्विपक्षीय संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संयुक्त रूप से स्मारक डाक टिकट जारी किए.
  • भारत ने मंगोलिया के नागरिकों को मुफ्त ई-वीज़ा प्रदान करने का निर्णय लिया.
  • उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मु और प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी मुलाकात की.

भारत और मंगोलिया संबंध

  • भारत और मंगोलिया ने 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे और 2015 में अपनी साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया.
  • पिछले 7 दशकों में दोनों देशों ने साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित एक घनिष्ठ और बहुआयामी साझेदारी विकसित की है.
  • यह साझेदारी रक्षा और सुरक्षा संसदीय आदान-प्रदान विकास साझेदारी, ऊर्जा, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में फैली हुई है.
  • मंगोलिया भारत को अपना ‘तीसरा पड़ोसी’ और ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ मानता है. ‘तीसरा पड़ोसी’ मंगोलिया की एक विदेश रणनीति है जिसका उद्देश्य दो बड़े पड़ोसियों (रूस और चीन) पर अपनी आर्थिक और राजनीतिक निर्भरता को कम करना है.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18-19 अगस्त को भारत की आधिकारिक यात्रा पर थे. श्री वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के निमंत्रण पर भारत आए थे.

यात्रा के दौरान श्री वांग यी ने अजीत डोभाल के साथ भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता में भाग लिया. उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ वार्ता

  • विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 18 अगस्त को नई दिल्‍ली में वार्ता हुई.
  • विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा कि भारत एक निष्पक्ष, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का पक्षधर है.
  • आतंकवाद के सभी स्‍वरूपों के ख़िलाफ़ लड़ाई भारत की प्राथमिकता है.
  • भारत-चीन संबंधों को आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हित के आधार पर निर्देशित होना चाहिए.
  • विदेश मंत्री वांग यी ने आश्वासन दिया कि चीन भारत की उर्वरकों, दुर्लभ खनिजों और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतों को पूरा कर रहा है.
  • विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने यारलुंग त्सांगपो या ब्रह्मपुत्र नदी के निचले इलाकों में चीन द्वारा किए जा रहे विशाल बांध निर्माण के संबंध में भारत की चिंताओं के बारे में अवगत कराया,   जिसका निचले तटवर्ती राज्यों पर प्रभाव पड़ेगा.
  • चीनी पक्ष ने ताइवान का भी मुद्दा उठाया. भारतीय पक्ष ने इस बात पर बल दिया कि इस मुद्दे पर उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
  • भारत ने बताया कि विश्‍व के बाकी हिस्सों की तरह, भारत का ताइवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंध है और यह आगे भी जारी रहेगा.

दोनों देशों में सहमति

  • भारत और चीन सीधी उड़ान सेवा बहाल करने और हवाई सेवा समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए.
  • दोनों पक्षों ने विभिन्न आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों और आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई.
  • भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में सीमा निर्धारण में शीघ्रता से प्रगति की संभावना तलाशने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित करने पर सहमति बनी.
  • भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शान्ति और सौहार्द बनाए रखने तथा सीमा प्रबंधन को प्रभावी रूप से आगे बढाने के लिए परामर्श और समन्वय कार्य तंत्र के तहत कार्य समूह स्थापित करने का निर्णय लिया गया.
  • सीमा-पार नदियों के सहयोग पर विचार-विमर्श किया और भारत-चीन विशेषज्ञ तंत्र के पूर्ण रूप से पालन और संबंधित समझौता ज्ञापनों के नवीनीकरण पर संवाद जारी रखने पर सहमति बनी.

अजीत डोवाल के साथ विशेष प्रतिनिधि संवाद

  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आज दिल्ली में भारत तथा चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता की सह-अध्यक्षता की.
  • चर्चा में तनाव कम करने, परिसीमन और सीमा मामलों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात

  • चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने श्री मोदी को चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनफिंग का संदेश और तियानचिन में प्रस्तावित शंघाई शिखर सम्‍मेलन (SCO) के लिए निमंत्रण सौंपा.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत-चीन सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर बल दिया और सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

चर्चा में: 15वें दलाई लामा के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी

  • तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने स्पष्ट किया  है कि उनके उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा और इस प्रक्रिया में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी.
  • दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को सौंपी है. इसके साथ ही दलाई लामा ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी संस्था यानी ‘दलाई लामा का संस्थान’ भविष्य में भी जारी रहेगा.
  • चीन के दखल से बचने के लिए दलाई लामा ने पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह 6 जुलाई 2025 को अपनी 90वें जन्मदिन पर नए दलाई लामा का नाम का ऐलान कर सकते हैं.
  • दलाई लामा ने अपनी हालिया पुस्तक ‘वॉयस फॉर द वॉयसलेस’ (मार्च 2025) में लिखा है कि उनका अगला अवतार (पुनर्जन्म) चीन के बाहर, स्वतंत्र दुनिया में होगा, संभवतः भारत या किसी अन्य देश में, जहां तिब्बती बौद्ध धर्म की स्वतंत्रता बनी रहे.
  • उन्होंने कहा, पुनर्जन्म का उद्देश्य मेरे कार्य को आगे बढ़ाना है. इसलिए, नया दलाई लामा एक स्वतंत्र विश्व में जन्म लेगा, ताकि वह तिब्बती बौद्ध धर्म का नेतृत्व और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सके.
  • दलाई लामा ने अपने अनुयायियों से आग्रह किया कि वे किसी भी ऐसे उम्मीदवार को स्वीकार न करें, जिसे चीन द्वारा नियुक्त किया जाए, क्योंकि यह तिब्बती धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ होगा.

चीन की प्रतिक्रिया

  • चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित हैं और उन्हें तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है.
  • जीवित बुद्ध की वंशावली चीन के तिब्बत में विकसित हुई, और उत्तराधिकारी का चयन चीनी कानूनों और परंपराओं के अनुसार होगा.
  • चीन का दावा है कि 1793 में किंग राजवंश द्वारा शुरू की गई ‘गोल्डन अर्न’ प्रक्रिया के तहत उसे दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार है.

दलाई लामा की पहचान की प्रक्रिया

  • अगले दलाई लामा की पहचान पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर आधारित होती है, जिसे तिब्बती बौद्ध धर्म में ‘तुल्कु प्रणाली’ कहते हैं.
  • यह एक विशेष परंपरा है जिसमें पिछले दलाई लामा की मृत्यु के बाद उनके पुनर्जन्म की खोज की जाती है.
  • इस प्रक्रिया के तहत एक खास उम्र के बच्चों को चयनित कर उनसे विशेष धार्मिक वस्तुओं की पहचान कराई जाती है. यदि बच्चा पूर्व दलाई लामा की वस्तुओं को सही ढंग से पहचान लेता है, तो उसे संभावित अवतार माना जाता है.
  • जब सही अवतार की पुष्टि हो जाती है, तब उसे दलाई लामा के रूप में सार्वजनिक रूप से मान्यता दी जाती है और विशेष बौद्ध शिक्षा दी जाती है. यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप से होती है.

दलाई लामा कौन हैं?

  • दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता हैं. वर्तमान 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो का जन्म 1935 में हुआ था और वह 1950 से तिब्बत के निर्वासित नेता हैं. वे भारत के धर्मशाला में रहते हैं.

दलाई लामा ने भारत में शरण ली

  • 1950 के दशक में चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया था, जिससे दलाई लामा और उनके अनुयायियों को खतरा था.
  • 1959 में, तिब्बत में चीन के खिलाफ़ विद्रोह हुआ, जिसे चीनी सेना ने कुचल दिया. इसके बाद, दलाई लामा ने भारत से शरण मांगी, और भारत सरकार ने उन्हें और हजारों अन्य तिब्बती शरणार्थियों को राजनीतिक शरण दी. उन्होंने धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार की स्थापना की.

जेरेमिया मानेले सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री चुने गए

पूर्व विदेश मंत्री जेरेमिया मानेले को सोलोमन द्वीप का नया प्रधानमंत्री चुना गया है. सोलोमन द्वीप की राष्ट्रीय संसद के विधायकों ने उन्हें देश का नया प्रधान मंत्री चुना. वह मनश्शे सोगावारे का स्थान लेंगे. जेरेमिया मानेले को चीन समर्थक माना जाता है.

मुख्य बिन्दु

  • 17 अप्रैल 2024 को देश में हुए आम चुनाव किसी भी राजनीतिक दल को निर्णायक जनादेश नहीं मिला था. मानेले तीन दलों के एक गठबंधन, राष्ट्रीय एकता और परिवर्तन सरकार के प्रमुख हैं. उनकी राजनीतिक दल का नाम अवर पार्टी है.
  • 55 वर्षीय जेरेमिया मानेले पूर्व प्रधानमंत्री सोगावरे सरकार के दौरान विदेश मंत्री थे. सोगावरे सरकार ने 2019 में ताइवान के साथ अपने संबंध तोड़ दिए थे और चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए.
  • ‘एक-चीन नीति’ के तहत, चीन उन देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करता है जिन्होंने ताइवान को मान्यता दी है. चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत मानता है और कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि वह ताइवान पर फिर से कब्ज़ा करेगा.
  • सोलोमन द्वीप समूह दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक द्वीपसमूह है. हाल के दिनों में चीन ने इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है.
  • 2022 में, सोगावरे सरकार ने चीन के साथ एक गुप्त सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी पश्चिमी शक्तियों को चिंतित कर दिया है.
  • जेरेमिया मानेले के सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री चुने जाने से अमेरिका को डर है कि चीन इस क्षेत्र में सैन्य अड्डा स्थापित कर लेगा, जो ऑस्ट्रेलिया से सिर्फ 1200 मील की दूरी पर है.

अमेरिका, जापान और फिलीपींस की पहली त्रिपक्षीय शिखर बैठक

अमेरिका, जापान और फिलीपींस की पहली त्रिपक्षीय शिखर बैठक 11 अप्रैल, 2024 को वाशिंगटन डीसी के व्हाइट हाउस में आयोजित की गई थी. सम्मेलन की मेजबानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने की थी.

मुख्य बिन्दु

  • बैठक में चीन के साथ बढ़ते क्षेत्रीय विवादों के बीच अपने सहयोगियों, जापान और फिलीपींस का समर्थन करने की संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता पर विचार-विमर्श हुआ.
  • शिखर सम्मेलन से पहले, फिलीपींस, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की समुद्री सेनाओं ने 7 अप्रैल, 2024 को एक संयुक्त समुद्री अभ्यास का आयोजन किया था. यह आयोजन फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया गया था.
  • चीन और फिलीपींस के बीच तनाव चीन सागर में स्थित थॉमस शोल पर केंद्रित है. फिलीपींस ने तट पर अपना दावा मजबूत करने के लिए 1999 में एक जहाज, बीआरपी सिएरा माद्रे को रोक दिया, जिससे फिलीपीन के पुन: आपूर्ति मिशनों को अवरुद्ध करने या परेशान करने का प्रयास करने वाले चीनी जहाजों के साथ लगातार झड़पें हुईं.
  • चीन और जापान के बीच सेनकाकू द्वीप विवाद में 2008 से जापानी क्षेत्रीय जल में चीनी जहाजों द्वारा घुसपैठ शामिल है. संयुक्त राज्य अमेरिका जापान के साथ अपनी रक्षा संधि की पुष्टि करता है, यह दावा करते हुए कि सेनकाकू द्वीप उसके संरक्षण में आता है.
  • सेनकाकू द्वीप और दूसरा थॉमस शोल दोनों दक्षिण चीन सागर के भीतर स्थित हैं, जो व्यापार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है और संभावित रूप से तेल और गैस भंडार से समृद्ध है.

चीन ने जापान से समुद्री भोजन के सभी आयात पर प्रतिबंध लगाया

चीन ने जापान से समुद्री भोजन के सभी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों ने इसकी घोषणा 24 अगस्त को की थी.

मुख्य बिन्दु

  • तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी द्वारा फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से उपचारित पानी प्रशांत महासागर में छोड़ना शुरू करने के बाद चीन ने ये फैसला किया है.
  • चीन ने कहा कि इसका उद्देश्य रेडियोधर्मी पानी के निकलने से दूषित भोजन के खतरे को खत्म करना और खाद्य पदार्थ तथा चीन के लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है.
  • चीन, जापान के समुद्री भोजन का सबसे बाद आयातक है. इस प्रतिबंध से जापान के मछली पकड़ने के उद्योग पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है और इससे द्विपक्षीय संबंधों में और गिरावट आ सकती है.

संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग ने चीन में मानवाधिकारों पर रिपोर्ट जारी की

संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) ने चीन में मानवाधिकारों पर 31 सितमबर को एक रिपोर्ट जारी की थी.

UNHRC की रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार चीन के शिनझियांग में वीगर स्‍वायत क्षेत्र में वीगर और मुख्‍य रूप से मुस्लिम समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों का गंभीर हनन हुआ है.
  • रिपोर्ट में कहा कि यातना या बुरे बर्ताव सहित जबरन चिकित्‍सा उपचार और हिरासत की बेहद खराब स्थितियों के आरोप पूरी तरह सत्‍य हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने कहा कि वीगर और अन्‍य लोगों को लम्‍बे समय तक हिरासत में रखे जाना अंतरराष्ट्रीय अपराध विशेष रूप से मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है.

अमेरिका – चीन तनाव, अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा

हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गया है. दोनों देशों के बीच तनाव तब चरण पर पहुँच गया जब अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) चीन की चेतावनी के बावजूद 2 अगस्त को ताइवान पहुंच गई.

मुख्य घटनाक्रम: एक दृष्टि

  • सुश्री पेलोसी पिछले 25 वर्ष में ताइवान जाने वाली चुनी हुई उच्चस्तरीय अमरीकी अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा से अमरीका की आधिकारिक नीति का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
  • उन्होंने ताइवान की राष्‍ट्रपति साइ-इंग-वेन और सांसदों से मुलाकात की. हालांकि, चीन, ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है; सुश्री पेलोसी ने ताइवान के प्रति अमरीका की प्रतिबद्धता को दोहराया.
  • नैंसी पेलोसी के चीन की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने घोषणा की है कि वह लक्षित सैन्य अभियान शुरू करेगा. अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी ने सुश्री पेलोसी की यात्रा का समर्थन किया है.

चीन-ताइवान विवाद क्या है?

  • चीन अपने ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक अलग और संप्रभु राष्ट्र मानता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो.
  • ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन तो ताइवान उसी के हिस्से में था. 1895 में चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया.
  • 1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. इसके बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली.
  • दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया. इसके बाद से ताइवान में चुनी हुई सरकार बन रही है. वहां का अपना संविधान भी है.
  • ताइवान का असली नाम रिपब्‍ल‍िक ऑफ चाइना है. वहीं चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है.

चीन ने अत्याधुनिक विमानवाहक पोत फुजियान का जलावारण किया

चीन ने 17 जून को अपना तीसरा और सबसे आधुनिक विमानवाहक पोत फुजियान (Fujian) का जलावतरण किया था. इसे शंघाई में एक समारोह में पानी में उतारा गया. इसका नाम फुजियान प्रांत के नाम पर रखा गया है. अब यह निर्धारित समय के अनुसार समुद्री परीक्षण करेगा.

यह चीन का पहला घरेलू निर्मित वाहक है जो विद्युत चुम्बकीय कैटापोल्ट्स का उपयोग करता है. चीन का पहला पूरी तरह से घरेलू रूप से विकसित और निर्मित विमानवाहक पोत है. फ़ुज़ियान में 80,000 टन से अधिक की विस्थापन क्षमता है.

फुजियान चीन का तीसरा विमानवाहक पोत है. चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग सोवियत युग के जहाज का एक उन्नत रूप है, जिसका जलावतरण 2012 में किया गया था और उसके बाद 2019 में दूसरे विमानवाहक पोत ‘शेडोंग’ का जलावतरण किया गया था. चीन की पांच विमानवाहक पोत बनाने की योजना है.

चीन-लिथुआनिया विवाद: यूरोपीय संघ ने चीन के खिलाफ WTO में शिकायत दर्ज की

यूरोपीय संघ (EU) ने चीन के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है. यह शिकायत चीन द्वारा लिथुआनिया के साथ व्यापार भेदभाव करने के लिए दर्ज करायी है.

क्या है मामला?

दरअसल, लिथुआनिया ने चीन के साथ कूटनीतिक परंपरा को तोड़ते हुए ताइवान में अपना कार्यालय चीनी ताइपे के बजाय ताइवान नाम से खोला है. ताइपे के विलयुनेस स्थित इस ताइवानी कार्यालय को चीन अपने साथ विश्वासघात के रूप में देखता है. क्योंकि चीन, ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है.

प्रतिक्रिया स्वरुप चीन ने लिथुआनिया के राजदूत को बर्खास्त कर दिया है और अपने राजदूत भी वहां से वापस बुला लिया है. इससे पहले लिथुआनिया ने चीन की राजधानी में अपने दूतावास को बंद कर दिया था.

तनाव बढ़ने के बाद चीनी सरकार ने लिथुआनिया पर आयात प्रतिबंध लगा दिया है. इसलिए इस मुद्दे को यूरोपीय संघ अब WTO के समक्ष उठा रहा है. EU का कहना है कि इस बाल्टिक देश के साथ चीन के झगड़े से अन्य देशों का निर्यात भी प्रभावित हो रहा है.

जर्मन और फ्रांसीसी कंपनियां लिथुआनिया के रास्ते चीन को अपना निर्यात भेजती है. ये कंपनियां अब बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं. इस प्रकार, लिथुआनिया को अवरुद्ध करके चीन यूरोपीय संघ के व्यापार पर प्रभाव डाल रहा है.

चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया-जापान ने एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए

चीन के खिलाफ 10 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के एयरबेस, बंदरगाहों, रसद और बुनियादी सुविधाओं तक गहरी पहुंच की अनुमति देता है. इस डील से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन को साधने में मदद मिलने की संभावना है, क्योंकि चीन बहुत तेजी से अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने ऑनलाइन एक सम्मेलन में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह अमेरिका के अलावा किसी भी देश के साथ जापान द्वारा हस्ताक्षरित ऐसा पहला रक्षा समझौता है.

मुख्य बिंदु

  • ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच हुए रक्षा समझौते के कारण दोनों देशों की सेनाएं एक साथ प्रशिक्षण, अभ्यास और संचालन में भी तेजी ला सकती हैं. ऐसे में अगर भविष्य में चीन के साथ कोई युद्ध होता है तो दोनों देश एक साथ मिलकर प्रभावी और तेज जवाबी कार्रवाई भी कर सकते हैं.
  • इसका उद्देश्य कानूनी बाधाओं को खत्म करना है, ताकि एक देश के सैनिकों को प्रशिक्षण और अन्य उद्देश्यों के लिए दूसरे में प्रवेश करने की अनुमति मिल सके.
  • इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामकता से सबसे अधिक खतरा भारत को है. ऐसे में भारत से भी अपेक्षा की जा रही है कि वह दुनिया के बाकी चीन विरोधी देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करे.

चीन ने नया सीमा कानून पारित किया, पडोसी देशों की चिंता

चीन की संसद ने हाल ही में एक नया सीमा कानून पारित किया था. इस कानून का नाम “भूमि सीमा कानून” (Land Boundary Law) है. नया सीमा कानून 1 जनवरी, 2022 से लागू होगा.

इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा. कानून में सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रावधान है.

यह चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए चीन की भूमि सीमाओं के पार किसी भी आक्रमण, अतिक्रमण, घुसपैठ, उकसावे का मुकाबला करने के लिए व्यवस्था करता है.

पडोसी देशों की चिंता

  • चीनी का यह कानून भारत सहित चीन के सभी पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर असर डालेगा. चीन 14 देशों के साथ लगभग 22,000 किलोमीटर की भूमि सीमा साझा करता है, जिसके साथ विवाद उत्पन्न होते रहते हैं.
  • भारत ने इस नए कानून पर चिंता व्यक्त की है. भारत का मानना है कि इस कानून का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों और सीमा से जुड़े सम्पूर्ण प्रश्नों पर प्रभाव पड़ सकता है.
  • भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जो अरुणाचल प्रदेश से जम्मू और कश्मीर तक फैली हुई है. भारत के साथ सीमा पूरी तरह से सीमांकित नहीं है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है.