श्रीलंका में चक्रवात दित्वाह: भारत की सहायता ‘ऑपरेशन सागर बंधु’
श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वाह’ (Cyclone Ditwah) ने हाल ही में भारी तबाही मचाई है. इस चक्रवात से देश में एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया है. यह चक्रवात 28 नवंबर, 2025 के आसपास श्रीलंका के तट से टकराया था, जिसके कारण भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाएँ हुईं.
मुख्य बिन्दु
- इस चक्रवात से देश के लगभग सभी 25 ज़िलों में 14 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़/भूस्खलन के कारण कई लोगों की जान चली गई.
- स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, श्रीलंका के राष्ट्रपति ने प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन कानून लागू कर दिया है और बचाव तथा राहत कार्यों में तेज़ी लाने के लिए सेना को तैनात किया गया है.
भारत की सहायता ‘ऑपरेशन सागर बंधु’
- भारत ने इस प्राकृतिक आपदा में श्रीलंका की मदद के लिए एक अभियान चलाया जिसका नाम ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ दिया गया था.
- भारतीय नौसेना के जहाज जैसे आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि राहत सामग्री (सूखा राशन, ताज़ा भोजन और अन्य ज़रूरी सामग्री) लेकर श्रीलंका पहुँचे.
- भारतीय वायुसेना के विमानों (जैसे C-130J और IL-76) ने भी बड़ी मात्रा में सहायता सामग्री एयरलिफ्ट की.
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की विशेष बचाव और राहत टीमें (लगभग 80 कर्मी) श्रीलंका भेजी गईं, जिन्होंने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया.
- वायुसेना के विमानों का उपयोग श्रीलंका में फंसे हुए 300 से अधिक भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए भी किया गया.
चक्रवात का नाम
चक्रवात ‘दित्वाह’ (Cyclone Ditwah) का नाम यमन द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिसका अर्थ है ‘लैगून’. यह नाम यमन के सोकोत्रा द्वीप पर स्थित डेट्वाह लैगून से लिया गया है.
