23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन, रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत की राजकीय यात्रा पर थे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (23rd India Russia Annual Summit) 2025 में भाग लेने के प्रयोजन से भारत आए थे. इससे पहले, वह आखिरी बार दिसंबर 2021 में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए थे. भारत और रूस अपनी रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं.

23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के मुख्य समझौते

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस वार्ता के बाद रक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, संस्कृति और मीडिया से जुड़े क्षेत्रों में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

रक्षा और सुरक्षा सहयोग

  • दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में अपनी विशेष साझेदारी को आगे बढ़ाने पर जोर दिया.
  • एक व्यापक रक्षा सहयोग ढांचे के तहत, लॉजिस्टिकल सपोर्ट पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत, ईंधन भरने और अन्य साजो-सामान सहायता के लिए एक-दूसरे के बंदरगाहों और सुविधाओं का उपयोग करने में मदद मिलेगी.
  • रूस ने S-400 मिसाइल सिस्टम की नई डील और उन्नत Su-57 फाइटर जेट्स जैसे प्रमुख रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने पर बात की.

व्यापार, ऊर्जा और अर्थव्यवस्था

  • व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए रास्ते तलाशने पर सहमति बनी.
  • दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को $30 बिलियन के लक्ष्य तक ले जाने के उपायों पर चर्चा.
  • तेल और गैस निर्यात को बढ़ाने सहित ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी.
  • यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक कार्यक्रम (Business Event) भी आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के बीच संपर्क बढ़ाना था.

अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र

  • रूस में भारतीय श्रमिकों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
  • इस यात्रा ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की 25वीं वर्षगांठ को भी चिह्नित किया, जिसे अक्टूबर 2000 में स्थापित किया गया था.
  • डिजिटल प्रौद्योगिकियों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और स्टार्टअप्स के लिए ज्ञान विनिमय कार्यक्रमों सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने की पुष्टि की गई.