भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह ‘CMS-03’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 नवंबर को भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह ‘CMS-03’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 के माध्यम से किया गया.
इसरो ने इस उपग्रह को सफलतापूर्वक अलग कर भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में स्थापित किया.
उपग्रह CMS-03 का विवरण
- उपग्रह CMS-03 का वजन लगभग 4,410 किलोग्राम है. यह भारतीय धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में प्रक्षेपित होने वाला सबसे भारी उपग्रह है.
- यह एक मल्टी-बैंड संचार उपग्रह है, जिसे जीसैट-7आर (GSAT-7R) के नाम से भी जाना जाता है.
- इसे मुख्य रूप से भारतीय नौसेना की संचार क्षमताओं को मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच सुरक्षित और निर्बाध संचार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
- यह उपग्रह सी, एक्सटेंडेड-सी और केयू-बैंड में सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे नौसेना की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.
- सीएमएस-03 को लगभग 15 वर्षों तक सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
रॉकेट LVM3-M5
- उपग्रह CMS-03 का प्रक्षेपण स्वदेशी प्रक्षेपण यान LVM3-M5 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) के माध्यम से किया गया. यह इसरो का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है.
- LVM3-M5 को इसकी विशाल भार उठाने की क्षमता के कारण लोकप्रिय रूप से ‘बाहुबली’ (Baahubali) उपनाम दिया गया है.
- LVM3-M5 की ऊँचाई 43.5 मीटर और वजन लगभग 642 टन है. यह तीन-चरण वाला रॉकेट है:
- S200: दो सॉलिड रॉकेट बूस्टर (पहले चरण में)
- L110: एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज (दूसरा चरण)
- C25: एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज (अंतिम और सबसे शक्तिशाली चरण)
भारत के ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन को इसी LVM3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था. LVM3 को ही भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन (गगनयान) के लिए चुना गया है.
