इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी में विस्फोट
इथियोपिया के हायली गुब्बी (Hayli Gubbi) ज्वालामुखी में 23 नवंबर 2025 को विस्फोट हो गया. यह हाल की सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक घटनाओं में से एक रहा है क्योंकि यह विस्फोट लगभग 12,000 वर्षों में पहली बार हुआ है.
मुख्य बिन्दु
- हायली गुब्बी ज्वालामुखी, इथियोपिया का अफ़ार क्षेत्र (Afar Region), अदीस अबाबा से लगभग 800 किमी उत्तर-पूर्व, इरिट्रिया सीमा के पास है. यह क्षेत्र ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट ज़ोन का हिस्सा है.
- यह ज्वालामुखी लगभग 10,000 से 12,000 सालों में पहली बार फटा है (वैज्ञानिकों के अनुसार होलोसीन काल में इसका कोई ज्ञात विस्फोट रिकॉर्ड नहीं था).
- इस विस्फोट का राख और धुएँ का गुबार समुद्र तल से 14 किलोमीटर से अधिक ऊँचाई तक पहुँचा था.
- यह विस्फोट ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट ज़ोन की भूवैज्ञानिक गतिविधि को दर्शाता है, जहाँ अफ्रीकी और अरेबियन टेक्टोनिक प्लेट्स धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर जा रही हैं.
ज्वालामुखी शीतलन: विस्फोट और प्रभाव
- जब कोई ज्वालामुखी फटता है, तो वह राख के कणों (Ash) के साथ-साथ बड़ी मात्रा में गैसों को भी वायुमंडल में छोड़ता है, जिसमें सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) प्रमुख होती है.
- SO2 अंततः छोटे-छोटे सल्फेट एयरोसोल कणों (Sulfate Aerosols) में बदल जाती है.
- ये सल्फेट एयरोसोल कण इतने छोटे होते हैं कि ये पृथ्वी की ओर आने वाले सूर्य के प्रकाश (Solar Radiation) को अंतरिक्ष में वापस परावर्तित कर देते हैं.
- सूर्य के प्रकाश का कम हिस्सा पृथ्वी की सतह तक पहुँचने के कारण, पृथ्वी की निचली वायुमंडलीय परत (क्षोभमंडल) का तापमान अस्थायी रूप से कम हो जाता है. इसी को ज्वालामुखी शीतलन या ग्लोबल डिमिंग कहा जाता है.
अतीत के बड़े विस्फोट और प्रभाव
| ज्वालामुखी विस्फोट | वर्ष | देखा गया प्रभाव |
| माउंट पिनाटुबो (फिलीपींस) | 1991 | वैश्विक तापमान में लगभग 0.5 डिग्री C की अस्थायी गिरावट |
| क्राकाटोआ (इंडोनेशिया) | 1883 | अगले कई वर्षों तक वैश्विक मौसम पैटर्न प्रभावित |
| माउंट टैम्बोरा (इंडोनेशिया) | 1815 | 1816 को बिना गर्मियों का वर्ष कहा गया |
भारत पर प्रभाव
- तेज ऊपरी हवाओं (जेट स्ट्रीम) के कारण, राख का विशाल बादल लाल सागर और अरब सागर को पार करते हुए भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों तक पहुँचा.
- राजस्थान (जोधपुर-जैसलमेर), दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के आसमान में राख का गुबार देखा गया.
- ज्वालामुखी की राख अत्यंत महीन, घर्षणकारी (abrasive) और कांच जैसे कणों से बनी होती है. ये कण विमान के जेट इंजन क टरबाइन ब्लेड पर जम सकती है, जिससे इंजन बंद हो सकता है. इसी खतरे के कारण कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को रद्द किया गया.
