दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्तूबर दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन (Mission for Aatmanirbharta in Pulses) का शुभारंभ किया था. यह मिशन प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के साथ शुरू किया गया.
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश में दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है.
मिशन की प्रमुख बातें
- यह मिशन छह वर्षों (2025-26 से 2030-31) के लिए ₹11,440 करोड़ के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया है.
- इसका मुख्य लक्ष्य दालों के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाना और आयात पर निर्भरता को कम करना है. तूर (अरहर), उड़द, और मसूर के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
- वर्ष 2030-31 तक देश में दालों का उत्पादन 350 लाख टन तक बढ़ाये जाने का लक्ष्य है.
- अगले चार वर्षों के लिए, पंजीकृत किसानों से तूर, उड़द और मसूर की 100% खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सुनिश्चित की जाएगी. यह खरीद नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी सरकारी एजेंसियां करेंगी.
यह मिशन कई स्तरों पर काम करेगा:
- उत्पादकता में वृद्धि:उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-अनुकूल किस्मों के बीजों का विकास और वितरण किया जाएगा. किसानों को मुफ्त बीज किट वितरित की जाएंगी.
- क्षेत्र विस्तार: खाली पड़ी ज़मीन और फसल विविधीकरण (Crop Diversification) के माध्यम से दालों की खेती के तहत क्षेत्रफल को बढ़ाया जाएगा.
- मूल्य श्रृंखला का सुदृढ़ीकरण: कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए 1,000 नई प्रोसेसिंग और पैकेजिंग इकाइयाँ स्थापित किया जाएगा.
- किसानों के लिए समर्थन: किसानों के कौशल को बढ़ाने के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. वैश्विक कीमतों की निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा ताकि किसानों के हितों की रक्षा हो सके.
यह मिशन भारत को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय में वृद्धि करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अभी भी 15-20% दालों का आयात करता है.