वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा
- वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए वार्षिक बैठक 27 जून 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी.
- बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने की. बैठक के दौरान 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदर्शन की समीक्षा की गई.
वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन
- बैंकों का कुल कारोबार: 2023-24 में 203 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में 251 लाख करोड़ रुपये.
- शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA): 2023-24 में 1.24% की तुलना में 2024-25 में घटकर 0.52% रह गईं.
- शुद्ध लाभ: 2023-24 में 1.04 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया.
- लाभांश भुगतान: 2023-24 में 20,964 करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में बढ़कर 34,990 करोड़ रुपये हो गया.
- CRAR: मार्च 2025 के अंत तक 16.15%. CRAR का मतलब है ‘पूंजी से जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’ (Capital to Risk-weighted Assets Ratio). यह एक वित्तीय अनुपात है जो बैंक की पूंजी और उसके जोखिम को मापता है. इसका मतलब है कि बैंक के पास अपने जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए कितनी पूंजी उपलब्ध है.
भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वे बैंक हैं जिनमें सरकार ने सार्वजनिक हित के प्राथमिक उद्देश्य से अपनी अधिकांश हिस्सेदारी बरकरार रखी है.
वर्तमान में (2025 में) भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (राष्ट्रीयकृत बैंक) हैं. ये बैंक हैं:
- भारतीय स्टेट बैंक
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- केनरा बैंक
- पंजाब नेशनल बैंक
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- यूको बैंक
- इंडियन बैंक
- पंजाब एंड सिंध बैंक
- बैंक ऑफ इंडिया
- इंडियन ओवरसीज बैंक