दिल्ली मंत्रिमंडल ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग परीक्षण को 7 मई को मंजूरी दी. इसके तहत आईआईटी-कानपुर की निगरानी में पांच क्लाउड-सीडिंग परीक्षण किया जाएगा.
परियोजना के लिए कुल व्यय 3.21 करोड़ रुपये है. यह पहल शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने तथा प्रदूषण के चरम समय के लिए तैयारी करने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
आईआईटी-कानपुर योजना, संचालन के समग्र प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा. दिल्ली सरकार परियोजना के निष्पादन के लिए संस्थान को सीधे धन हस्तांतरित करेगी. पहला परीक्षण मई के अंत या जून में होने की उम्मीद है.
क्लाउड-सीडिंग प्रक्रिया की प्रभावशीलता और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने के लिए एक व्यापक वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा.
क्लाउड सीडिंग क्या है?
‘क्लाउड सीडिंग’ एक ऐसी तकनीक है, जिसके तहत रसायनों का उपयोग कर वर्षा कराई जाती है. इसे कृत्रिम वर्षा भी कहा जाता है.
इसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड (Agl), कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2), पोटेशियम आयोडाइड (KI), या सोडियम क्लोराइड (NaCl) जैसे पदार्थ कृत्रिम नाभिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं.
ये पदार्थ बादलों में मौजूद जल वाष्प को संघनित होने में मदद करते हैं, जिससे पानी की बूंदें या हिम के टुकड़े बनते हैं. विश्व में सिल्वर आयोडाइड सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली कृत्रिम नाभिक है.
क्लाउड सीडिंग का उपयोग वर्षा में वृद्धि करने, ओलावृष्टि को कम करने, कोहरे को हटाने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2025-05-09 08:52:192025-05-13 08:58:28दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग परीक्षण को मंजूरी दी