प्रधानमंत्री ने खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखी

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2024 को मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (KBLP) की आधारशिला रखी.
  • केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (KBLP) भारत की राष्ट्रीय नदी जोड़ो नीति के तहत पहली नदी जोड़ो परियोजना है.
  • इस परियोजना के अंतर्गत केन नदी से पानी को बेतवा नदी में स्थानांतरित किया जाना है. केन एवं बेतवा यमुना की सहायक नदियाँ हैं.
  • KBLP केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सरकारों के बीच एक त्रिपक्षीय पहल है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 44,605 ​​करोड़ रुपए है जिसकी समय सीमा लगभग 8 वर्ष है.
  • यह परियोजना दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण के अनुरूप है जिन्होंने भारत की जल कमी की समस्या के समाधान के रूप में नदी-जोड़ने की वकालत की थी.
  • परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा, जो 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा होगा.

KBLP के मुख्य विशेषता

  • 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर दौधन बांध को बेतवा नदी से जोड़ेगी, जिससे सिंचाई और पेयजल प्रयोजनों के लिए अधिशेष जल का स्थानांतरण सुगम हो जाएगा.
  • इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया सहित 10 जिलों में 8.11 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी.
  • इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के 2.51 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई भी होगी, जिससे महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिलों में पानी की उपलब्धता में सुधार और बाढ़ की समस्या को दूर करने में मदद करेगी.
  • यह परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के समुदायों को विश्वसनीय पेयजल उपलब्ध कराएगी, जिससे बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी की पुरानी समस्या दूर होगी.
  • औद्योगिक उपयोग के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्ध होगा, जो क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
  • इस परियोजना में 103 मेगावाट जल विद्युत एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन भी शामिल है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में योगदान मिलेगा.

पर्यावरणीय एवं सामाजिक चिंताएँ

  • दौधन बांध पन्ना टाइगर रिजर्व के मुख्य भाग में स्थित है और इसके निर्माण से रिजर्व का लगभग 98 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा.
  • दौधन बांध के निर्माण से केन घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियाल जैसी प्रजातियों और नीचे की ओर गिद्धों के घोंसले के स्थलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
  • इस परियोजना में लगभग 2-3 मिलियन वृक्षों की कटाई होगी, जो सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक है.
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