लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा का निधन
प्रसिद्ध लोक गायिका और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा का 5 नवंबर 2024 को निधन हो गया. वह 72 वर्ष की थीं. शारदा सिन्हा बीते 6 साल से मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) से जूझ रही थीं. मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर होता है.
- 1970 के दशक से शारदा सिन्हा के शानदार करियर ने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. उन्हें 2018 में पद्म भूषण और क्षेत्रीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
- शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल में हुआ था. उन्होंने अपने गायन करियर की शुरुआत 1971 में आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) से की थी.
- छठ के महान त्योहार, विवाह गीत और बिहार के विशिष्ट अनुष्ठानों पर आधारित भोजपुरी, मैथिली और मगधी बोली में गाए गए उनके लोकप्रिय गीतों के कारण उन्हें ‘बिहार कोकिला’ के नाम से पुकारा जाने लगा.
- शारदा सिन्हा ने गिरमिटिया मजदूरों के जीवन के बारे में भी गाया जो मॉरीशस, सेशेल्स, फिजी और अन्य स्थानों में बहुत लोकप्रिय हुआ.
- गिरमिटिया वे मजदूर हैं जो ब्रिटिश शासन के दौरान फिजी, मॉरीशस, सेशेल्स आदि ब्रिटिश उपनिवेशों के गन्ने के खेतो में काम करने के लिए भारत से चले गए थे. यह भारतीय मजदूर मुख्यतः वर्तमान बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से थे.
- शारदा सिन्हा ने हिंदी फिल्मों में ‘मैंने प्यार किया’ में ‘काहे तो से सजना’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ में ‘तार बिजली’ और ‘चारफुटिया छोकरे’ में ‘कौन सी नगरिया’ जैसे गाने भी गाए.