21वां आसियान-भारत और 19वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का लाओस में आयोजन

21वां आसियान-भारत और 19वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का लाओस (लाओ पीडीआर) में आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में भाग लेने के प्रयोजन से 10-11 अक्तूबर को लाओस की यात्रा पर थे. लाओस, आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ) का वर्तमान अध्यक्ष देश है.

मुख्य बिन्दु

  • लाओस, 44वें और 45वें आसियान शिखर सम्मेलन, 27वें आसियान प्लस थ्री शिखर सम्मेलन (आसियान-चीन, जापान और कोरिया गणराज्य), 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलनऔर 19वीं पूर्वी एशिया शिखर बैठक की मेजबानी की. ये सभी बैठकें लाओस की राजधानी वियनतियाने में आयोजित की गईं थीं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाओस की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत करना, आसियान-भारत संबंधों को प्रगाढ़ करना और भारत के हिंद-प्रशांत नजरिये को मजबूती प्रदान करने के अलावा लाओ पीडीआर के साथ सदियों पुराने संबंधों को समृद्ध करना था. उल्लेखनीय है, इस साल भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक पूरा होने जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) के नेताओं के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करने और आपसी सहयोग की भविष्य की दिशा तय करने के लिए शामिल हुए.
  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान किया.
  • भारत लाओ पीडीआर सहित इस क्षेत्र के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध साझा करता है, जो बौद्ध धर्म और रामायण की साझा विरासत से समृद्ध है.
  • मोदी ने इस अवसर पर साल 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की, जिसके लिए भारत 5 मिलियन अमेरीकी डालर उपब्लध कराएगा.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठकें भी कीं. लाओस यात्रा के दौरान उन्होंने जापान और न्यूजीलैंड के समकक्षों से भी मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की. इसके अलावा वह ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और यूरोपीय परिषद के नेताओं से भी मिले.

आसियान: एक दृष्टि

  • आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ) है. इसकी स्थापना 1967 में हुई थी.
  • यह आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं.
  • इसमें दक्षिण पूर्व एशिया के 10 सदस्य देश (इंडोनेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, लाओ पीडीआर, म्यांमार, कंबोडिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और सिंगापुर) शामिल हैं.
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