केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 मिशन और वीनस ऑर्बिटर मिशन को स्‍वीकृति दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितम्बर को चंद्रयान-4 मिशन को स्‍वीकृति दी. मंत्रिमंडल ने वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना को भी मंजूरी दी. दोनों मिशन को साल 2028 तक लॉन्च करने का प्लान बनाया गया है.

चंद्रयान-4 मिशन:

  • चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, वहाँ की सतह से मिट्टी और अन्य नमूने को एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है. इस मिशन पर 2104 करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
  • हैवी-लिफ्टर LVM-3 और ISRO का रिलायबल वर्कहॉर्स PSLV अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे.
  • केवल तीन देश-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन-चंद्रमा की मिट्टी को पृथ्वी पर वापस लाने में सफल रहे हैं.

वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM):

  • VOM पर 1,236 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. इसे मार्च 2028 में लॉन्च किया जाना है. VOM का मुख्य उद्देश्य शुक्र की सतह और वायुमंडल के साथ-साथ शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है.
  • वीनस पृथ्वी का सबसे करीबी ग्रह है. शुक्र के पास ऐसी कई सारी जानकारी हैं जो हमें पृथ्वी और एक्सोप्लैनेट को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती हैं.

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS):

  • मंत्रिमंडल ने रिवाइज्ड गगनयान प्रोग्राम को मंजूरी दी है. इसके तहत गगनयान मिशन का दायरा बढ़ाकर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS-1) के पहले मॉड्यूल का विकास किया जाएगा. इस मिशन में BAS-1 यूनिट सहित आठ मिशन शामिल हैं. इसे दिसंबर 2028 तक पूरा किया जाना है.
  • गगनयान मिशन पर रखे गए बजट को 11,170 करोड़ रुपए बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
  • गगनयान मिशन  में 3 गगनयात्री को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा.
  • भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं.
  • 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट तक स्पेस में रहे. 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफर्ड 15 मिनट स्पेस में रहे. 15 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग लिवेड 21 घंटे स्पेस में रहे.
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