भारत ने समुद्री जैव विविधता संधि पर हस्ताक्षर किए

भारत ने समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 25 सितंबर 2024 को न्यूयॉर्क में स्थित संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘बायोड़ायवर्सिटी बियॉन्ड़ नेशनल ज्यूरिस्डि़क्शन एग्रीमेंट’ (BBNJ) समझौते पर हस्ताक्षर किए.

BBNJ समझौता: मुख्य बिन्दु

  • BBNJ समझौता उच्च समुद्र क्षेत्र में देशों के अधिकारों को स्थापित करने का प्रयास करता है ताकि देशों के बीच संघर्ष से बचा जा सके.
  • इस अंतरराष्ट्रीय संधि पर मार्च 2023 में सहमति बनी थी और सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर के लिए खोला गया था.
  • सदस्य देशों के पास समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सितंबर 2025 तक का समय है और इस समझौते पर कम से कम 60 देशों द्वारा पुष्टि होने के बाद ही लागू होगा.
  • 2 जुलाई 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में BBNJ समझौते को मंजूरी दी थी.
  • भारत में BBNJ समझौते के प्रावधानों को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय होगा.

BBNJ समझौते के उद्देश्य

  • यह समझौता खुले समुद्र में समुद्री जैव विविधता की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से समुद्री संसाधनों (तेल और गैस, मछली, खनिज, आदि) का निरंतर उपयोग करने के लिए तंत्र का एक सेट प्रदान करता है.
  • यह किसी भी देश को उच्च समुद्रों पर समुद्री संसाधनों पर विशेष अधिकार का दावा करने से रोकता है.
  • समझौते का उद्देश्य क्षेत्र-आधारित प्रबंधन उपकरणों के माध्यम से और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के संचालन के लिए नियम स्थापित करके समुद्री पर्यावरण पर प्रभाव को कम करना है.
  • यह सतत विकास लक्ष्य संख्या ’14- पानी के नीचे जीवन को प्राप्त करना’ में भी मदद करेगा.

समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन

  • समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन वर्ष 1994 को लागू हुआ था. यह समुद्र में एक तटीय देश द्वारा समुद्री संसाधनों के उपयोग के संबंध में नियम और विनियम निर्धारित करता है. यह प्रादेशिक जल, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और उच्च समुद्र को परिभाषित करता है.
  • एक तटीय देश का क्षेत्रीय जल देश के महाद्वीपीय शेल्फ से 12 समुद्री मील की दूरी तक निर्धारित किया गया है. इस सीमा के भीतर, देश, सिद्धांत रूप में, किसी भी कानून को लागू करने, किसी भी उपयोग को विनियमित करने और किसी भी संसाधन का दोहन करने के लिए स्वतंत्र हैं.
  • तटीय देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को उसके महाद्वीपीय शेल्फ से 200 समुद्री मील तक फैले समुद्र के एक क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है. EEZ के भीतर, देश को पानी, समुद्र तल और क्षेत्र के उप-मिट्टी में पाए जाने वाले प्राकृतिक समुद्री संसाधनों (तेल और गैस, खनिज, मछली, आदि) का दोहन करने का अधिकार है.
  • उच्च समुद्र क्षेत्र, समुद्र में स्थित वे जल क्षेत्र जो किसी तटीय देश के क्षेत्रीय जल क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र से परे हैं.
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