सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST वर्ग के आरक्षण में उप-वर्गीकरण की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को सुनाए अपने फैसले में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) सूची के भीतर आरक्षण प्रयोजनों के लिए उप-वर्गीकरण (सब कैटेगरी) की मंजूरी दे दी. कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार द्वारा अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए उप-वर्गीकरण स्वीकार्य होगा.
मुख्य बिन्दु
- यह फैसला, दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की सात-न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया.
- इस फैसले ने 2004 के ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में पहले पांच-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलट दिया.
- ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा गया था कि एससी/एसटी सूची एक समरूप समूह है और इसमें कोई उप-वर्गीकरण नहीं हो सकता है.
- मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में ऐतिहासिक साक्ष्यों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जातियां एक समरूप वर्ग नहीं हैं. उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है और न ही संविधान के अनुच्छेद 341(2) का उल्लंघन करता है.
- उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो.
- न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि राज्य को अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में क्रीमी लेयर की पहचान करने तथा उन्हें सकारात्मक आरक्षण के दायरे से बाहर करने के लिए नीति बनानी चाहिए.