राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल और दरबार हॉल के नाम बदले गए
राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ के नाम को नाम बदल दिया गया है. अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल को ‘गणतंत्र मंडप’ के नाम से जाना जाएगा जबकि अशोक हॉल का नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ किया गया है.
दरबार हॉल (गणतंत्र मंडप) में क्या खास
राष्ट्रपति भवन का सर्वाधिक भव्य कक्ष दरबार हॉल ही है, जिसका नाम अब गणतंत्र मंडप कर दिया गया है. दरबार हॉल को पहले थ्रोन रूम के नाम से जाना जाता था और जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने 15 अगस्त, 1947 को शपथ ली थी.
अशोक हॉल (अशोक मंडप) की खासियत
अशोक मंडप कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था.
राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan): एक दृष्टि
- ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियन को भारत की नई राजधानी और वायसराय के लिए एक कार्यालय/निवास स्थान डिजाइन करने का काम सौंपा गया था.
- वायसराय ब्रिटिश सम्राट का भारत में प्रतिनिधि होता था और ब्रिटिश सम्राट की ओर से भारत पर शासन करता था.
- वायसराय हाउस का निर्माण वायसराय लॉर्ड हार्डिंग (1910-1916) के कार्यकाल में शुरू हुआ और 1929 में वायसराय लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में पूरा हुआ. लॉर्ड इरविन वायसराय हाउस में रहने वाले पहले वायसराय थे.
- आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 को वायसराय हाउस का नाम बदलकर गवर्नमेंट हाउस कर दिया गया.
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल के दौरान गवर्नमेंट हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया.
- मुख्य भवन 5 एकड़ के क्षेत्र में फैला है और इसमें चार मंजिलों में 340 कमरे हैं. राष्ट्रपति भवन का प्रसिद्ध मुगल गार्डन 15 एकड़ क्षेत्र में है.