अफगानिस्तान पर तीसरा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन दोहा में आयोजित किया गया
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर तीसरा सम्मेलन 30 जून से 1 जुलाई 2024 तक कतर की राजधानी दोहा में आयोजित किया गया था.सम्मेलन का उद्देश्य तालिबान शासित देश में अफगानी लोगों के जीवन में सुधार और सुगमता के उपाय तलाशना था.हालाँकि, सम्मेलन अपने एजेंडे पर कोई ठोस प्रगति किए बिना समाप्त हो गया।
मुख्य बिन्दु
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में यूरोपीय संघ, इस्लामिक देशों के संगठन (आईओसी) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सहित 25 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेष प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
- पहली बार इस विचार-विमर्श में तालिबान भी शामिल हुआ था.तालिबान का प्रतिनिधित्व तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने किया.
- मई 2023 में दोहा में आयोजित पहले सम्मेलन में तालिबान को आमंत्रित नहीं किया गया था.तालिबान ने फरवरी 2024 में दोहा में आयोजित दूसरे सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था।
- संयुक्त राष्ट्र ने इस बात से इंकार किया था कि दोहा में हो रही बैठक तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने का रास्ता बनेगी.
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह सम्मेलन अफगानिस्तान में शांति लाने और महिलाओं के अधिकारों, लड़कियों की शिक्षा और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अफगानिस्तान के शासकों को बातचीत में शामिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक सतत प्रयास है।
भारत का रुख
- इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने किया था.
- भारत का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने, मानवीय सहायता, समावेशी सरकार बनाने तथा महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान देना चाहिये.
- अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिये न हो, ये भारत की प्राथमिकता है. भारत अपने इस रुख पर भी जोर देगा कि अफगानिस्तान में कोई भी अस्थिरता पूरे क्षेत्र के लिये खतरा बनेगी.
- भारत अफगानिस्तान के आर्थिक और सुरक्षा हितों पर विशेष ध्यान दे रहा है. अफगानिस्तान में अपने निवेश की सुरक्षा भी भारत की प्राथमिकता है.
- अफगानिस्तान के सभी 34 सूबों में लगभग 500 परियोजनाएं भारत के सहयोग से चल रही हैं.