क्या है ब्रिक्स?
ब्रिक्स (BRICS) विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. इसके घटक देशों के अंग्रेज़ी में नाम के प्रथम अक्षरों B (ब्राज़ील), R (रूस), I (इंडिया), C (चीन) व S (साउथ अफ्रीका) से मिलकर इस समूह का यह नामकरण हुआ है. ब्रिक्स का मुख्यालय शंघाई, चीन में है.
ब्रिक्स की स्थापना 2009 में हुई थी. साल 2010 में दक्षिण अफ़्रीका के शामिल होने से पहले इसे ‘ब्रिक’ (BRIC) के नाम से जाना जाता था.
ब्रिक्स देशों में विश्वभर की 45% आबादी रहती है, जहां विश्व का सकल घरेलू उत्पाद 30% है और विश्व व्यापार में इसकी 17% हिस्सेदारी है.
1 जनवरी 2024 को मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी इस समूह में शामिल किया गया. इन पाँच देशों के शामिल होते ही, सदस्य देशों की कुल संख्या 10 हो गई.
ब्रिक्स का इतिहास
ब्रिक (BRIC) की स्थापना
अमेरिका की बैंकिंग और वित्तीय कंपनी ‘गोल्डमैन शश’ (Goldman Sachs) के चेयरमैन जिम ओ नील ने पहली बार वर्ष 2001 में ‘ब्रिक’ (BRIC) शब्द का प्रयोग किया था. ब्रिक शब्द का तात्पर्य ब्राजील, रूस, भारत और चीन था.
गोल्डमैन शश का तर्क था कि ब्राजील, रूस, चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि 2050 तक ये चारों अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक परिदृश्य पर हावी होगी.
शश का आकलन था कि भारत और चीन उत्पादित वस्तुओं और सर्विस के सबसे बड़े प्रदाता होंगे, वहीं ब्राजील और रूस कच्चे माल के सबसे बड़े उत्पादक हैं. ब्राजील जहां लौह अयस्कों की आपूर्ति में प्रथम है तो रूस तेल एवं प्राकृतिक गैस के मामले में शीर्ष पर है.
ये चारों देश संयुक्त रूप से विश्व का एक-चौथाई क्षेत्र घेरते हैं और इनकी जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक है. इन देशों का सकल घरेलु उत्पाद 15.435 ट्रिलियन डॉलर है.
ब्रिक देशों की पहली औपचारिक शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 को रूस के येकेटिनबर्ग में हुई थी. इस सम्मेलन में ब्राजील से लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा, रूस से दिमित्री मेदवेदेव, भारत से मनमोहन सिंह और चीन से हू जिन्ताओ ने प्रतिनधित्व किया. शिखर सम्मेलन का मुख्य मुद्दा वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार और वित्तीय संस्थानों में सुधार का था.
ब्रिक समूह में दक्षिण अफ्रीका का प्रवेश
24 दिसंबर 2010 को दक्षिण अफ्रीका आधिकारिक तौर पर ब्रिक समूह का एक सदस्य राष्ट्र बन गया. ब्रिक समूह में दक्षिण अफ्रीका के शामिल हो जाने के बाद इस समूह का नाम बदलकर ब्रिक्स (BRICS) कर दिय गया, जिसमें ‘S’ दक्षिण अफ्रीका को सूचित करता है.
ब्रिक्स के पांच सदस्यीय समूह के विस्तार का फैसला
जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र (इजिप्ट) और इथोपिया, इंडोनेशिया के साथ सऊदी अरब के शामिल होने की घोषणा की गई थी.
इस फैसले के तहत 1 जनवरी 2024 को मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भी इस समूह में शामिल किया गया. लेकिन सऊदी अरब औपचारिक रूप से ब्रिक्स में शामिल नहीं हुआ है.
BRICS समूह के तत्कालीन अध्यक्ष देश ब्राज़ील ने 6 जनवरी 2024 को इंडोनेशिया को BRICS समूह का पूर्ण सदस्य स्वीकार किया.
इन पाँच देशों के शामिल होते ही, सदस्य देशों की कुल संख्या 10 हो गई.
ब्रिक प्लस
ब्रिक प्लस मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नए जोड़े गए पांच सदस्यों और मूल ब्रिक्स सदस्य को संदर्भित करता है. विस्तारित सदस्यता के साथ पहली ब्रिक्स शिखर बैठक कज़ान में अकतूबर 2024 आयोजित की गई थी.
BRICS के प्रमुख लक्ष्य
- अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना, स्थानीय मुद्राओं और गैर-डॉलर लेनदेन को बढ़ावा देना.
- वैश्विक वित्तीय और व्यापार प्रणालियों को आकार देने में सामूहिक प्रभाव को मजबूत करना.
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए समान विकास नीतियों का समर्थन करना.
ब्रिक्स का महत्व
ब्रिक्स देशों में चीन, भारत और रूस जैसी प्रमुख विश्व शक्तियां तथा अपने महाद्वीप पर प्रभावशाली देश, जैसे दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील शामिल हैं.
ब्रिक्स के विस्तार के बाद इस समूह की संयुक्त जनसंख्या लगभग 3.5 बिलियन है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का 45% है.
ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे सदस्य देशों के साथ ब्रिक्स देश विश्व के लगभग 44% कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं.
ब्रिक्स मुद्रा बनाने का विचार
रूस के कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस संगठन के देशों को अपनी-अपनी करेंसी में कारोबार पर जोर दिया. माना जा रहा है कि यह इशारा ब्रिक्स की अपनी करेंसी कायम करने की है.
दरअसल, पूरी दुनिया के कारोबार पर इस वक्त अमेरिकी डॉलर का दबदबा है. इससे पहले 2023 में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि ब्रिक्स राष्ट्र अमेरिकी डॉलर के विकल्प के रूप में संभावित स्वर्ण समर्थित मुद्रा बनाने पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे. हालांकि, यह अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी कि ब्रिक्स मुद्रा कब जारी की जाएगी
ब्रिक्स बैंक (न्यू डेवलपमेंट बैंक)

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ब्रिक्स समूह के देशों द्वारा स्थापित किए गए विकास बैंक का आधिकारिक नाम है. इसे पहले ब्रिक्स बैंक नाम से भी जाना जाता था. NDB का मुख्यालय शंघाई, चीन में है.
दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में इस बैंक का क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया गया है. ब्रिक्स बैंक में प्रत्येक सदस्य देश को सामान वोट का अधिकार है, और किसी के पास वीटो का अधिकार नहीं है. भारत के केवी कामत NDB के पहले अध्यक्ष थे.
NDB की स्थापना
ब्राज़ील के फ़ोर्टालेज़ा में आयोजित छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2014 में 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना का निर्णय किया गया. इस धनराशि में सभी सदस्य देशों की बराबर-बराबर हिस्सेदारी है. ब्रिक्स देशों के उभरते बाजारों के बीच अधिक से अधिक वित्तीय और विकास सहयोग को बढ़ावा के लिए इस बैंक की स्थापना की गयी है.
NDB के उद्देश्य
NDB का उद्देश्य ब्रिक्स देशों और अन्य उभरती तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की सतत विकास की मूलभूत परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना है.
NDB के कार्य
किसी देश शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी समस्याओं को दूर करना, ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाना, वैश्विक फाइनैंशल सेफ्टी नेट को मजबूत करना आदि.
ब्रिक्स सम्मेलन

अब तक हुए ब्रिक शिखर सम्मेलन
शिखर सम्मेलन का संस्करण | वर्ष | आयोजन स्थल |
---|---|---|
प्रथम | 2009 | येकतेरिनबर्ग, रुस |
दूसरा | 2010 | ब्रासीलिया, ब्राज़ील |
तीसरा | 2011 | सान्या, चीन |
चौथा | 2012 | नई दिल्ली, भारत |
5वां | 2013 | डरबन, दक्षिण अफ्रीका |
6ठा | 2014 | फोर्टालेज़ा और ब्रासीलिया, ब्राज़ील |
7वां | 2015 | बाश्कोर्तोस्तान (ऊफा), रुस |
8वां | 2016 | गोवा, भारत |
9वां | 2017 | शियामिन, चीन |
10वां | 2018 | जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका |
11वां | 2019 | ब्रासीलिया, ब्राज़ील |
12वां | 2020 | रूस (वर्चुअल) |
13वां | 2021 | भारत (वर्चुअल) |
14वां | 2022 | चीन (वर्चुअल) |
15वां | 2023 | जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका |
16वां | 2024 | कज़ान, रूस |
17वां | 2025 | ब्राजील (प्रायोजित) |
ब्रिक्स देशों के बीच मतभेद
रूस को छोडकर, ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं.
ब्रिक्स देशों के बीच मतभेद
ब्रिक्स देश आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक विषयों पर भारी विवाद हैं. इन विवादों में:
- भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक दूसरे को एक विवादित और सैन्यीकृत सरहद के आर-पार खड़े पाते हैं. चीन और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर भी भारत असहज है.
- समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए, इस विषय पर भी कोई साफ विचार नहीं है.
- भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है लेकिन इसी समूह में चीन भी है जहाँ साम्यवादी शासन है और गैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर है.
- ब्राजील चीन की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंता व्यक्त कर चुका है. चीन ये बात साफ कर चुका है कि युआन का मुद्दा ब्रिक्स में बहस के लिए नहीं उठाया जा सकता.