जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक: अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की घोषणा
वस्तु और सेवा कर (GST) परिषद की 56वीं बैठक 3-4 सितम्बर को नई दिल्ली में हुई. बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की.
इस बैठक में देश के अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवा कर सुधारों की घोषणा की गई. इनमें जीएसटी दरों में सुधार करते हुए उन्हें युक्तिसंगत बनाने को स्वीकृति दी गई. नई दरें 22 सितम्बर से लागू होंगी.
जीएसटी में मुख्य सुधार
- जीएसटी परिषद ने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की चार-स्तरीय संरचना (स्लैब) से सरल बनाकर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय संरचना में बदल दिया है.
- नई दरों के लागू होने से 48 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा, इसे केंद्र और राज्य सरकारें वहन करेंगी.
- व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसियों, वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी सहित व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है.
- 33 जीवन रक्षक दवाओं और औषधियों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य तथा कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तीन जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी को 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया है. अन्य सभी दवाओं और औषधियों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत किया गया है.
- एसी, 32 इंच से बड़े टीवी, डिशवाशिंग मशीन, छोटी कारें और मोटरसाइकिल जैसी वस्तुओं पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है.
- साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, साइकिल और रसोई के बर्तन जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुएँ अब 5 प्रतिशत के स्लैब में आ गई हैं.
- यूएचटी दूध, पनीर, चपाती और पराठा जैसी मूलभूत खाद्य वस्तुओं को पूरी तरह से करमुक्त कर दिया गया है.
- सभी कृषि उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है. कृषि क्षेत्र के लिए ट्रैक्टर, उर्वरक और अमोनिया पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है.
जीएसटी क्या है?
- जीएसटी का पूरा नाम है गुड्स एंड सर्विस टैक्स. यह एक अप्रत्यक्ष कर (इंडायरेक्ट टैक्स) है. जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर पूरे देश में एक समान टैक्स लगाया जाता है.
- जीएसटी लागू होने से पहले वस्तुओं और सेवाओं पर केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार के कई टैक्स लगाये जाते थे.
- 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से ये सभी टैक्स ख़त्म हो गये और इनकी जगह पूरे देश में सिर्फ एक टैक्स ‘जीएसटी’ लगने लगा.
