डेली कर्रेंट अफेयर्स
23-25 नवंबर 2025
20वां जी-20 शिखर सम्मेलन जोहान्सबर्ग में आयोजित किया गया
20वां जी-20 शिखर सम्मेलन (20th G20 Leaders Summit) 22-23 नवंबर 2025 को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित किया गया था.
यह पहली बार था जब किसी अफ्रीकी देश ने जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. दक्षिण अफ्रीका 1 दिसंबर 2024 से 30 नवंबर 2025 तक जी-20 का अध्यक्ष देश है. अफ्रीकी संघ 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 का सदस्य बना था.
20वां जी-20 शिखर सम्मेलन: मुख्य बिन्दु
इस सम्मेलन का विषय (थीम) था: ‘एकजुटता, समानता, स्थिरता’ (Solidarity, Equality, Sustainability). यह थीम सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को साकार करने और यह सुनिश्चित करने पर ज़ोर देती है कि कोई भी पीछे न छूटे.
सम्मेलन के मुख्य सत्र
शिखर सम्मेलन के दौरान तीन मुख्य सत्रों में वैश्विक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया:
- समावेशी और सतत आर्थिक विकास: जिसमें व्यापार, विकास वित्तपोषण और बढ़ती ऋण चुनौतियों पर ध्यान दिया गया.
- एक लचीला विश्व (A Resilient World): आपदा जोखिम को कम करने, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा परिवर्तन और खाद्य प्रणालियों को मज़बूत करने पर विचार-विमर्श.
- सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायसंगत भविष्य: महत्वपूर्ण खनिज, सभ्य कार्य (Decent Work) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका जैसे विषयों को शामिल करना.
20वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत
- 20वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के प्रयोजन से 21 से 23 नवंबर, 2025 तक दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर थे.
- यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा. अफ्रीकी संघ को भारत की अध्यक्षता (2023) के दौरान ही जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया था.
- प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन के सभी तीन सत्रों में भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उन्होंने भारत के विजन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप वैश्विक एजेंडे पर अपनी बात रखी.
- प्रधानमंत्री मोदी ने सतत विकास, विश्वसनीय व्यापार, निष्पक्ष वित्त और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करने वाली प्रगति के महत्व पर बल दिया.
शिखर सम्मेलन से इतर बैठकें
प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन से इतर कई द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बैठकें कीं:
- प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन से इतर भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका इब्सा (IBSA) समूह के नेताओं की बैठक में भी भाग लिया. यह बैठक ‘ग्लोबल साउथ’ (Global South) के बीच सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित थी.
- उन्होंने कहा कि तीनों देश (IBSA) एक-दूसरे के विकास के पूरक बन सकते हैं और सतत विकास के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं.
- प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक इंगोजी ओकोंजो इबियाला, इथियोपिया के प्रधानमंत्री एबी अहमद अली, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी सहित कई प्रमुख नेताओं से बातचीत की.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
- न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
- उन्होंने न्यायमूर्ति भूषण आर. गवई का स्थान लिया है, जो 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए थे.
- मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा.
- वह पहले हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं.
जम्मू-कश्मीर में चूना पत्थर खनिज ब्लॉकों की पहली नीलामी
जम्मू-कश्मीर में चूना पत्थर खनिज ब्लॉकों की पहली नीलामी प्रक्रिया औपचारिक रूप से 24 नवंबर 2025 को जम्मू में शुरू की गई है. इसका उद्घाटन केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने किया.
मुख्य बिन्दु
- यह खनन सुधारों के तहत जम्मू-कश्मीर में पहली खनन ब्लॉक नीलामी है, जो क्षेत्र में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी.
- जम्मू-कश्मीर में कुल सात चूना पत्थर ब्लॉक (लगभग 314 हेक्टेयर क्षेत्र) हैं जिसकी नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई है. ये ब्लॉक अनंतनाग, राजौरी, और पुंछ जिले में हैं.
- इस पहल से स्थानीय समुदायों के लिए रोज़गार सृजन, राजस्व वृद्धि, और औद्योगिक विस्तार होने की उम्मीद है, जो ‘विकसित भारत 2047’ के विजन में योगदान देगा.
- यह नीलामी खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (MMDR Act), 2015 के तहत शुरू किए गए खनन सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम है.
केंद्र सरकार ने श्रम संहिताओं को पूरे देश में लागू किया
केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार श्रम संहिताओं (Four Labour Codes) को पूरे देश में लागू कर दिया. ये श्रम संहिताएँ भारत के श्रम कानूनों को सरल, आधुनिक और एकीकृत बनाने के लिए एक बड़ा सुधार है.
इन चार संहिताओं ने 29 पुराने और जटिल केंद्रीय श्रम कानूनों को समाहित कर दिया है, जिससे भारत का श्रम विनियमन ढांचा सरल और आधुनिक बन गया है.
ये चार संहिताएं निम्नलिखित हैं:
- मज़दूरी संहिता, 2019 (Code on Wages, 2019): न्यूनतम मजदूरी, समय पर वेतन भुगतान और बोनस से संबंधित.
- औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020): औद्योगिक विवादों, श्रमिकों की छंटनी और कर्मचारियों की शर्तों से संबंधित.
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (Code on Social Security, 2020): कर्मचारी भविष्य निधि (PF), राज्य बीमा (ESIC), ग्रेच्युटी और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभों से संबंधित.
- व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य-दशा संहिता, 2020 (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020): कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और श्रमिकों के कामकाजी घंटों से संबंधित.
प्रमुख बदलाव
- न्यूनतम मजदूरी की गारंटी: अब देश भर में सभी कर्मचारियों (असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी शामिल) को न्यूनतम मजदूरी का कानूनी अधिकार मिला है.
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सुरक्षा: पहली बार, ओला, ज़ोमैटो आदि के लिए काम करने वाले गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा (PF, ESIC, आदि) के दायरे में लाया गया है.
- ग्रेच्युटी का नियम: ग्रेच्युटी के लिए आवश्यक 5 साल की सेवा की शर्त को कुछ मामलों में घटाकर 1 साल कर दिया गया है.
- ओवरटाइम का भुगतान: सामान्य कार्य घंटों से अधिक काम करने पर सामान्य मजदूरी की कम से कम दोगुनी दर से भुगतान करना होगा.
- नियुक्ति पत्र: सभी कर्मचारियों के लिए नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) देना अनिवार्य कर दिया गया है.
- महिलाओं के लिए समान अवसर: महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए रात्रि पाली (Night Shift) में काम करने की अनुमति दी गई है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया 16वाँ विदेश मंत्रियों की रूपरेखा संवाद
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 20 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में 16वाँ विदेश मंत्रियों की रूपरेखा संवाद (Foreign Ministers’ Framework Dialogue – FMFD) आयोजित किया गया था.
भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जबकि ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व वहाँ के विदेश मंत्री सीनेटर पेनी वोंग ने किया था.
मुख्य चर्चा
यह संवाद दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है. इस संवाद में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की गई और अगले चरण के एजेंडे पर सहमति बनी:
- समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और मजबूत करना.
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर चल रही बातचीत को जल्द ही अंतिम रूप देने पर ज़ोर दिया गया.
- भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों की बढ़ती उपस्थिति (6 विश्वविद्यालयों की स्थापना की योजना) और छात्र आदान-प्रदान पर चर्चा.
- एक स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करने की अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई.
- QUAD (क्वाड) सहित अन्य बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना.
- जीवंत भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई प्रवासी समुदाय की भूमिका को रेखांकित किया गया.
पनडुब्बी रोधी युद्ध पोत माहे को नौसेना में शामिल किया गया
भारतीय नौसेना ने 24 नवंबर को मुंबई की नौसेना गोदी में पहले पनडुब्बी रोधी युद्ध पोत (Anti-Submarine Warfare) माहे (INS Mahe) का जलावतरण किया. इस समारोह की अध्यक्षता सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी की.
आईएनएस माहे: मुख्य बिन्दु
- यह ‘माहे’ श्रेणी के आठ पनडुब्बी रोधी उथले जलयान (ASW-SWC) में से पहला पोत है. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने किया है.
- आईएनएस माहे में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल और पोत डिजाइन तथा निर्माण में बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है.
- इसे मुख्य रूप से तटीय जल (Shallow Waters) में पनडुब्बियों का पता लगाने (Hunt), निगरानी करने और उन्हें बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
- इसका नाम मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर रखा गया है. इसके क्रेस्ट (प्रतीक चिन्ह) पर उरुमी (केरल की लचीली तलवार) बनी है, जो इसकी चपलता (Agility), सटीकता और घातक क्षमता का प्रतीक है. पोत का आदर्श वाक्य ‘साइलेंट हंटर्स’ है.
- अपनी मारक क्षमता, स्टील्थ तकनीक (Stealth Technology) और गतिशीलता के मिश्रण के साथ, आईएनएस माहे पश्चिमी समुद्री तट पर भारत की तटीय रक्षा को मजबूत करने और समुद्री हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
संक्षिप्त सामयिक घटनाचक्र
छठा अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन नई दिल्ली में शुरू
छठा अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन 24 से 26 नवंबर तक नई दिल्ली में आयोजित हो रहा है. कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि मंत्री शिवराज सिहं चौहान ने किया. इस कार्यक्रम में पूर्ण सत्र, विषयगत संगोष्ठी, मुख्य व्याख्यान, पोस्टर प्रस्तुति, प्रदर्शनी तथा युवा वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों की बैठक आयोजित होगी. इस वर्ष सम्मेलन का विषय है – स्मार्ट कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए नई कृषि विज्ञान परिकल्पना.
गुरू तेगबहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस
नौवें सिख गुरू, गुरू तेगबहादुर जी का 24 नवंबर को 350वां शहीदी दिवस था. वर्ष 1675 में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर उन्हें मौत के घाट उतारा गया था. गुरू तेगबहादुर ने पूरे देश में गुरूनानक देव जी के संदेशों का प्रसार किया. उन्होंने 116 शबद और 15 रागों की रचना की. उनके संदेश आदि ग्रंथ में निहित हैं.
