भारत में हाथियों की डीएनए-आधारित जनगणना रिपोर्ट

भारत में हाथियों की डीएनए-आधारित जनगणना रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट का शीर्षक था ‘स्टेटस ऑफ एलिफेंट्स इन इंडिया: डीएनए-आधारित समकालिक अखिल भारतीय जनसंख्या अनुमान (SAIEE 2021-25)’.

  • यह भारत में जंगली हाथियों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए पहली बार डीएनए-आधारित वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करने वाली एक ऐतिहासिक रिपोर्ट है.

SAIEE 2021-25: मुख्य बिन्दु

  • भारत में जंगली हाथियों की संख्या आठ वर्षों में लगभग 25% कम हो गई है, जो घटते जंगलों और मनुष्यों के साथ बढ़ते संघर्ष से बढ़ते खतरों को रेखांकित करती है. पूरे भारत में हाथियों की वर्तमान संख्या 22,446 है, जो वर्ष 2017 में 29,964 थी.
  • कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक 6,013 है, उसके बाद असम (4,159), तमिलनाडु (3,136), केरल (2,785) और उत्तराखंड (1,792) का स्थान है.
  • क्षेत्रीय रूप से, पश्चिमी घाट 11,934 हाथियों के साथ सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है. पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ के मैदान में हाथियों की संख्या 6,559, जबकि मध्य भारतीय उच्चभूमि और पूर्वी घाट में कुल 1,891 हाथी हैं.
  • कॉफी, चाय के बागानों, कृषि भूमि और बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण हाथियों के गलियारे (Elephant Corridors) और आवास तेजी से सिमट रहे हैं.
  • मध्य भारत और पूर्वी घाट जैसे क्षेत्रों में आवास की हानि के कारण संघर्ष में वृद्धि हुई है. इस क्षेत्र में भारत के 10% से भी कम हाथी हैं, लेकिन हाथियों के कारण होने वाली लगभग 45% मानव मृत्यु यहीं होती है.