लखनऊ में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप रवाना

लखनऊ में निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की पहली खेप को 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को रवाना किया गया.

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संयुक्त रूप से मिसाइलों की पहली खेप को रवाना किया.
  • यह खेप ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल के तहत भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है.
  • इस अत्याधुनिक केंद्र में प्रतिवर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन करने का लक्ष्य है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है.
  • इस सुविधा से अगले वित्तीय वर्ष से लगभग ₹3,000 करोड़ का कारोबार होने और ₹500 करोड़ का जीएसटी राजस्व मिलने की उम्मीद है.

लखनऊ ब्रह्मोस यूनिट

  • लखनऊ ब्रह्मोस निर्माण यूनिट, उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है, जो मिसाइल के असेंबली, इंटीग्रेशन और परीक्षण (Testing) का पूरा काम भारत में ही करती है.
  • इस अत्याधुनिक केंद्र में प्रतिवर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन करने का लक्ष्य है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है.

ब्रह्मोस मिसाइल

  • ब्रह्मोस (BrahMos) मिसाइल दुनिया की सबसे तेज़ और घातक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है. यह भारत की रक्षा क्षमताओं की रीढ़ मानी जाती है और ‘मेक इन इंडिया’ का एक प्रमुख प्रतीक है.
  • यह मिसाइल भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया का एक संयुक्त उद्यम है, जिसके तहत ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन किया गया है.
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है.
  • अपनी सुपरसोनिक गति (मैक 3), उच्च सटीकता और विस्तारित मारक क्षमता के कारण भारतीय सशस्त्र बलों की रीढ़ मानी जाती है.
  • इसके उन्नत संस्करणों की रेंज 450 किमी से 800 किमी तक है. इसे भूमि (मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर से), समुद्र (युद्धपोतों और पनडुब्बियों से) और वायु (Su-30MKI फाइटर जेट से) लॉन्च किया जा सकता है.