खाद्य तथा शांति के लिए पहला एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार एडेमोला एडेनले को दिया गया

एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • नई दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में 7 से 9 अगस्त तक एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (MS Swaminathan Centenary International Conference) आयोजित किया गया था. यह सम्मेलन प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था.
  • इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया. सम्मेलन का विषय था- ‘सदाबहार क्रांति, जैव-खुशहाली का मार्ग’

खाद्य तथा शांति के लिए पहला एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार

  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘खाद्य तथा शांति के लिए पहला एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार’ प्रदान किए.
  • इस पुरस्‍कार की शुरूआत एमएस स्‍वामीनाथन रिर्सच फाउंडेशन (MSSRF) और विश्व विज्ञान अकादमी (TWAS) द्वारा एमएस स्‍वामीनाथन की विरासत को सम्मानित करने के लिए किया है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है जो विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्‍होंने वैज्ञानिक अनुसंधान, नीति विकास, खाद्य सुरक्षा में सुधार, समानता और शांति को आगे बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान दिया है.

पहले प्राप्तकर्ता

  • खाद्य तथा शांति के लिए पहला एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार नाइजीरियाई वैज्ञानिक डॉ. एडेमोला एडेनले (Dr. Ademola Adenle) को दिया गया है.
  • उन्हें नाइजीरिया में भुखमरी कम करने में उनके परिवर्तनकारी कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है.

एमएस स्‍वामीनाथन: ‘हरित क्रांति’ का जनक

  • एमएस स्‍वामीनाथन भारत के आनुवंशिक वैज्ञानिक थे जिन्हें भारत की ‘हरित क्रांति’ का जनक माना जाता है.
  • उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों (मैक्सिकन गेहूँ की एक किस्म) को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए.
  • इसके कारण भारत के गेहूँ उत्पादन में भारी वृद्धि हुई. इस कार्य के द्वारा भारत को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता था.
  • ‘हरित क्रांति’ कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे.
  • एमएस स्वामीनाथन को ‘भारत सरकार’ द्वारा सन 1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था.

स्वामीनाथन आयोग

  • नवंबर 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग की मुख्य सिफारिशें हैं:
  • किसानों को फ़सल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम मिले.
  • किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज रियायती मूल्य पर प्रदान किये जाएं.
  • किसानों की मदद के लिए गांवों में ज्ञान चौपाल (विलेज नॉलेज सेंटर) हों.
  • महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड दिए जाएँ.
  • प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों की मदद के लिए कृषि जोखिम फंड हों.
  • पूरे देश में हर फसल के लिए फसल बीमा की सुविधा हों.
  • खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था हों.
  • गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा मिले.