लोकसभा की कार्यवाही में सभी 22 राजभाषाओं को शामिल किया गया

लोकसभा की कार्यवाही में सभी 22 राजभाषाओं को शामिल किया गया है. इसकी घोषणा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 19 अगस्त 2025 को संसद के मानसून सत्र के दौरान की.

  • घोषणा के अनुसार संसद को समावेशी बनाने के लिए संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 भाषाओं में संसदीय कार्यवाही का अनुवाद अब उपलब्ध होगा.
  • अभी तक सदन की कार्यवाही का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी के अतिरिक्त 18 भाषाओं में किया जा रहा था. अब इसमें कश्मीरी, कोंकणी और संथाली भाषाओं को भी शामिल किए जाने से संविधान में उल्लेखित सभी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध हो गया है.
  • कई सांसद बहस के दौरान अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करना पसंद करते हैं, जिससे सदन में सुचारु संचार के लिए अनुवाद सेवाएँ आवश्यक हो गई थी.

संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाएँ

  • असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी.

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची

  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है. इस अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है. 14 भाषाओं को संविधान के प्रारंभ में ही शामिल कर लिया गया था.
  • अन्य 8 भाषाओं को संविधान संशोधनों के द्वारा शामिल किया गया है. वर्ष 1967 (21वाँ संशोधन) में सिंधी भाषा को, 1992 (71वाँ संशोधन) में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को, वर्ष 2003 (92वाँ संशोधन) में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था.

भाषाओं से संबंधित मुख्य तथ्य

  • 6 भाषाओं भारत में ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा प्राप्त है. ये हैं: तमिल (2004 में घोषित), संस्कृत (2005), कन्नड़ (2008), तेलुगू (2008), मलयालम (2013) और ओडिया (2014). सभी शास्त्रीय भाषाएँ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं.
  • भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 के अनुसार, हिंदी भारत की राजभाषा है और देवनागरी लिपि संघ की आधिकारिक भाषा है.