दीनदयाल बंदरगाह में भारत का पहला स्वदेशी हरित हाइड्रोजन प्लांट चालू
- केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 1 अगस्त को गुजरात के कांडला में हरित हाइड्रोजन विद्युत संयंत्र का उद्घाटन किया. यह संयंत्र कांडला के दीनदयाल बंदरगाह में है.
- यह देश का पहला स्वदेशी हरित हाइड्रोजन प्लांट है. दीनदयाल बंदरगाह मेगावाट-स्तर के हरित हाइड्रोजन संयंत्र का संचालन करने वाला पहला भारतीय बंदरगाह बन गया है.
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 मेगावाट की इस परियोजना की घोषणा मई 2025 में की थी. इस परियोजना के हिस्से के रूप में, अभी 1 मेगावाट मॉड्यूल चालू हुआ है.
- यह संयंत्र प्रतिवर्ष लगभग 140 मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम है. यह समुद्री डीकार्बोनाइजेशन और टिकाऊ बंदरगाह संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
- इसका निर्माण दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (DPA) और एलएंडटी ने किया है.
- DPA की यह परियोजना देश के नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है.
- भारत ने नवंबर 2021 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (COP 26) के 26वें सत्र में 2070 तक ‘नेट ज़ीरो’ उत्सर्जन हासिल करने के अपने लक्ष्य की घोषणा की थी.
क्या है हरित हाइड्रोजन?
हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन व ऑक्सीजन को इलेक्ट्रोलाइजर के जरिए अलग किया जाता है. हाइड्रोजन इंधन में प्रदूषण नहीं होता है.
हरित हाइड्रोजन और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: एक दृष्टि
- हरित हाइड्रोजन (GH2) नवीकरणीय ऊर्जा का एक रूप है. हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए सबसे आम उत्पादन विधि जल इलेक्ट्रोलिसिस है, जिसमें नवीकरणीय स्रोत वाली बिजली (सूर्य, हवा, जल विद्युत आदि) का उपयोग करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अणुओं को अलग किया जाता है. इस प्रक्रिया में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता.
- हरित हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेल के उत्पादन के लिए किया जाता है जिससे परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाले गाड़ियों आदि में किया जाता है. हाइड्रोजन से चलने वाली गाडियाँ जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल, डीजल, गैस) से चलने वाले गाड़ियों की तुलना में लगभग नगण्य प्रदूषण पैदा करते हैं.
- भारत सरकार ने देश में हरित हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 4 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है.
- मिशन का लक्ष्य 2030 तक देश में 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित करना है.
- मिशन की अवधि 2023-24 से 2029-2030 तक है और मिशन पर कुल परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये है.