देश में ड्रोन के जरिए सीमित जगह पर कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशियल रेन) कराने का परीक्षण असफल हो गया. यह परीक्षण राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास रामगढ़ डैम में 13 अगस्त को होना था जो कि ड्रोन के सही तरीके से काम नहीं करने के कारण असफल रहा.
यह परीक्षण राजस्थान कृषि विभाग ने अमेरिका व बेंगलुरु स्थित GenX AI कंपनी के साथ साझेदारी में किया था.
भारत में यह पहला ड्रोन आधारित कृत्रिम वर्षा का परीक्षण था. इसमें पारंपरिक हवाई जहाज आधारित क्लाउड सीडिंग तकनीक की जगह ड्रोन (मानवरहित हवाई यानों) का इस्तेमाल किया गया था.
कृत्रिम बारिश या क्लाउड सीडिंग क्या है?
‘क्लाउड सीडिंग’ एक ऐसी तकनीक है, जिसके तहत रसायनों का उपयोग कर वर्षा कराई जाती है. इसे कृत्रिम वर्षा भी कहा जाता है.
इसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड (Agl), कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2), पोटेशियम आयोडाइड (KI), या सोडियम क्लोराइड (NaCl) जैसे पदार्थ कृत्रिम नाभिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं.
ये पदार्थ बादलों में मौजूद जल वाष्प को संघनित होने में मदद करते हैं, जिससे पानी की बूंदें या हिम के टुकड़े बनते हैं. विश्व में सिल्वर आयोडाइड सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली कृत्रिम नाभिक है.
क्लाउड सीडिंग का उपयोग वर्षा में वृद्धि करने, ओलावृष्टि को कम करने, कोहरे को हटाने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2025-08-14 16:19:322025-08-14 16:21:16ड्रोन और AI तकनीक से देश में पहली बार कृत्रिम बारिश का परीक्षण असफल रहा