इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘निसार’ सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 जुलाई को ‘निसार’ उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया.
  • यह प्रक्षेपण 30 जुलाई को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से किया गया.
  • प्रक्षेपण में निसार उपग्रह को 747 किलोमीटर लंबी सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous orbit या SSO) में स्थापित किया गया. सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह सूर्य के सापेक्ष एक ही स्थिति में रहता है.

निसार उपग्रह (NISAR Satellite)

  • निसार (NISAR) का पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Mission) है. यह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है. 2,393 किलोग्राम वजनी निसार मिशन का जीवनकाल पांच वर्ष है.
  • इसरो और नासा की संयुक्त पहल
  • निसार उपग्रह, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का संयुक्त उपग्रह मिशन है.
  • दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों का यह पहल संयुक्त मिशन है जिसे संयुक्त रूप से विकसित किया है. इस मिशन की अनुमानित लागत 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 1.31 खरब रुपये) है.
  • यह दुनिया का पहला द्वि-आवृत्ति सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह है. इसमें एल-बैंड और एस-बैंड, दोनों सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हुए हैं. एल-बैंड, नासा का और एस-बैंड, इसरो का है.

निसार उपग्रह की उपयोगिता

  • निसार सभी मौसम में दिन और रात काम करने वाला उपग्रह है, जो 12 दिनों के अंतराल में पूरी पृथ्वी को अवलोकन करेगा.
  • यह उपग्रह धरती की भूमि और बर्फ का 3D दृश्य उपलब्ध कराएगा. उपग्रह से प्राप्त डेटा भूकंप और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों पर लगातार नजर रखने में मदद करेगा.
  • हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा.
  • निसार चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदाओं के सटीक प्रबंधन में सहायता करेगा.

GSLV-F16

  • निसार उपग्रह को GSLV-F16 MK-II प्रक्षेपण यान (रॉकेट) के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया था. इस रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. इसे इसरो ने विकसित किया है.
  • GSLV का पूरा नाम भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) है. GSLV-F16 MK-II रॉकेट भारी उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम है.