इसरो ने श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-3 को सफलतापूर्वक प्रेक्षिपत किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को चन्द्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपन किया था. या प्रक्षेपन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से किया गया था.
मुख्य बिन्दु
- चन्द्रयान-3 को LVM-3 प्रक्षेपण यान (रॉकेट) से प्रक्षेपित किया गया. प्रक्षेपण यान LVM-3 का वजन 642 टन है. यह भारी उपग्रहों को ले जाने के लिए एक सफल और भरोसेमंद प्रक्षेपण यान है.
- LVM-3 रॉकेट के संचालन के लिए तीन चरणों ठोस ईंधन, तरल ईंधन और अंत में क्रायोजनिक ईंधन (तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन) को पूर्ण करते हुए चंद्रयान-3 लगभग 16 मिनट में पृथ्वी की कक्षा (जियो ट्रांसफर ऑर्बिट) में स्थापित हुआ.
- चन्द्रयान-3 के चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर 23 अगस्त या 24 अगस्त को उतरने की आशा है. यह चंद्रमा तक पहुंचने के लिए एक महीने में 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी (ओवल आकार के मार्ग में) तय करेगा.
- यह चांद की सतह पर उतरने का भारत का दूसरा प्रयास है. 2019 में ‘चन्द्रयान-2’ मिशन आखिरी चरण में चांद की सतह पर उतरने में विफल हो गया था.
- अगर भारत सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतरने में सफल रहता है तो यह उपलब्धि हासिल करने वाला वो दुनिया का चौथा देश होगा. इससे पहले अमरीका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन ने ये उपलब्धि हासिल की है.
चंद्रयान 3: एक दृष्टि
- चंद्रयान 3 के तीन हिस्से हैं- प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर मॉड्यूल. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा.
- लैंडर का काम चंद्रमा की सतह पर उतरकर उसमें मौजूद रोवर को बाहर निकालना है. रोवर चांद की सतह पर खनिजों सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाएगा.
- इस मिशन का उद्देश्य ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापना, भूकंपीय गतिविधि का पता लगाना और लूनर क्रस्ट और मेंटल की संरचना का चित्रण करना भी है.