बिहार के 2 नए आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि का दर्जा दिया गया

बिहार के दो आर्द्रभूमि को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि यानी रामसर स्थल का दर्जा दिया गया है. ये स्थल हैं- बक्सर जिले में स्थित गोकुल जलाशय (448 हेक्टेयर) और पश्चिम चंपारण जिले की उदयपुर झील (319 हेक्टेयर).

इसके साथ ही बिहार में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है, जबकि भारत में कुल संख्या 93 तक पहुँच गई है.

गोकुल जलाशय

  • बक्सर का गोकुल जलाशय गंगा नदी की बाढ़ से निर्मित एक महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि है. गर्मियों में यह दलदली क्षेत्र व कृषि भूमि में बदल जाता है, जबकि मानसून में जलभराव से लबालब हो जाता है.
  • यहां 50 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं. स्थानीय लोग मछली पालन, सिंचाई और खेती के लिए इस पर निर्भर हैं.

उदयपुर झील

  • पश्चिम चंपारण की उदयपुर झील, एक प्राकृतिक ऑक्सबो झील है. यह झील उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य से घिरी हुई है.
  • यहां 280 से अधिक वनस्पति प्रजातियां और 35 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें असुरक्षित श्रेणी की कॉमन पोचार्ड जैसी प्रजातियाँ भी शामिल हैं.

बिहार में पहले से ही तीन रामसर स्थल हैं– बेगूसराय की काबर झील (काबर ताल) तथा जमुई जिले के नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य.

आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन

  • आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन का नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है क्योंकि यहीं  फरवरी 1971 में आर्द्रभूमि और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था.

अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि

  • अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि को रामसर स्थल कहा जाता है. रामसर स्थल पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं. इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
  • आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
  • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.

भारत और विश्व में रामसर स्थल

  • भारत में अब कुल 93 रामसर स्थल हैं जो देश की कुल भूमि का लगभग 5% है. ये क्षेत्र देश के 13.58 लाख हैक्‍टेयर भूमि में फैले हैं.
  • आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में तमिलनाडु (20 रामसर स्थल) पहले और गुजरात दूसरे स्थान पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
  • प्रथम भारतीय रामसर स्थल- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) और चिल्का झील (ओडिशा) है, जिसे 1981 में शामिल किया गया था.
  • भारत में सबसे बड़ा रामसर स्थल पश्चिम बंगाल का सुंदरबन और सबसे छोटा रामसर हिमाचल प्रदेश में रेणुका है.
  • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (176) और मेंक्सिको (144) हैं. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे अधिक बोलीविया में है.