दिल्ली में डिजिटल जनजातीय विश्वविद्यालय ‘आदि संस्कृति’ का शुभारंभ

  • जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने 10 सितम्बर को नई दिल्ली में डिजिटल जनजातीय विश्वविद्यालय ‘आदि संस्कृति’ का शुभारंभ किया. यह दुनिया का पहला डिजिटल जनजातीय विश्वविद्यालय है.
  • यह मंच न केवल सांस्कृतिक ज्ञान का भंडार होगा, बल्कि यह आदिवासी कारीगरों के लिए आजीविका के नए रास्ते भी खोलेगा.
  • इसके तहत एक ऑनलाइन बाज़ार भी शुरू किया गया है, जो देश भर के आदिवासी कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों के लिए एक वैश्विक डिजिटल (ऑनलाइन) बाज़ार उपलब्ध कराएगा.

आदि संस्कृति प्लेटफॉर्म तीन मुख्य घटकों में विभाजित

  1. आदि विश्वविद्यालय: यह एक डिजिटल जनजातीय कला अकादमी है, जहाँ आदिवासी नृत्य शैलियों, चित्रकला, विभिन्न शिल्पों, संगीत और लोककथाओं पर 45 विशेष पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं.
  2. आदि संपदा: यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक कोष है. इसमें अब तक चित्रकला, नृत्य, पारंपरिक परिधान और वस्त्र, कलाकृतियों और आजीविका से जुड़े विषयों पर 5,000 से अधिक क्यूरेटेड दस्तावेज़ शामिल किए गए हैं.
  3. आदि हाट: यह एक डिजिटल बाज़ार है, जिसका उद्देश्य आदिवासी कारीगरों को उनके उत्पादों के लिए एक सीधा ऑनलाइन बाज़ार प्रदान करना है.