भारत ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक 2022 के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की

भारत ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक 2022 के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है. इसका आयोजन 4 से 20 फरवरी के बीच बीजिंग में किया जा रहा है. राजनयिक बहिष्कार के बाद बीजिंग में भारत के कार्यवाहक राजदूत ओलंपिक उद्घाटन या फिर समापन में किसी भी तरह का हिस्सा नहीं लेंगे.

भारत से पहले बहिष्कार में कई देश शामिल हो चुके हैं

अमेरिका ने सबसे पहले शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की थी. इसके बाद से अब तक ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, जापान, कोसोवो, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, स्वीडन और ब्रिटेन जैसे देशों ने आंशिक रूप से या पूरी तरह से इस बहिष्कार को समर्थन दिया है. अब भारत भी इन देशों के साथ शामिल हो चुका है.

राजनयिक बहिष्कार का क्या मतलब है?

शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का अर्थ है कि बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक 2022 में इन देशों के कोई अधिकारी मौजूद नहीं रहेंगे. लेकिन इन देशों के शामिल होंगे.

क्यों किया जा रहा है चीन का विरोध?

चीन अपनी उइगर आबादी के साथ कठोर व्यवहार, हांगकांग में बढ़ती अधीनता, तिब्बत के दमन, दक्षिण चीन सागर में अवैध क्षेत्रीय दावों और ताइवान के खिलाफ जबरदस्ती के मामले पर दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया का सामना कर रहा है.

चीन के शिनजियांग में दस लाख से अधिक मुसलमानों को यातना शिविरों में कैद किया गया है. पिछले साल लगभग 700,000 तिब्बती किसानों और खानाबदोशों के साथ जबरदस्ती हुई. तिब्बतियों को जबरन विचार परिवर्तन, घुसपैठ निगरानी, राजनीतिक पुन: शिक्षा, सैन्य-शैली के अधीन किया गया. इन सभी मामलों पर दुनियाभर में चीन का विरोध हो रहा है.

भारत ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार क्यों कर रहा है?

चीन ने इन ओलंपिक खेलों में सेना अधिकारी की फैबाओ (Qi Fabao) को मशाल वाहक के रूप में चुना है. की फैबाओ 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी संघर्ष में शामिल थे जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे.