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सांसदों के वेतन-भत्ते में 24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ नया वेतन 1.24 लाख रुपये हुआ

  • केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसदों के वेतन-भत्ते और पेंशन में वृद्धि की अधिसूचना 24 मार्च 2025 को जारी की थी. 2018 के बाद पहली बार यह बढ़ोतरी की गई है.
  • जारी अधिसूचना के अनुसार, सांसदों के वेतन-भत्ते में 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. वेतन वृद्धि के बाद अब सांसदों का मूल वेतन 1 लाख से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह हो गया है. जबकि, सांसदों का दैनिक संसदीय भत्ता 2000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया है.
  • पूर्व सांसदों का न्यूनतम पेंशन 25 हजार रुपये से बढ़ाकर अब 31 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया है. पांच साल से अधिक की सेवा यानि एक टर्म से अधिक सदस्य रहे पूर्व सांसदों को प्रत्येक वर्ष के लिए अतिरिक्त पेंशन 2,000 रुपये प्रति माह की जगह अब 2,500 रुपये प्रति महीने के हिसाब से जोड़कर मिलेगा.
  • सांसदों को दैनिक भत्ता (संसद में भाग लेने के लिए), निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, मुफ्त यात्रा और सरकारी आवास के रूप में अतिरिक्त भत्ते भी मिलते हैं.
  • एक सांसद को निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपये प्रति माह और कार्यालय खर्च 60,000 रुपये प्रति माह मिलता है.

सांसदों के वेतन और भत्ते से संबंधित अधिनियमित

    • सांसदों को वेतन, भत्ते और पेंशन, संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954 के तहत भारत सरकार की संघीय निधि (Consolidated Fund of India) से दिए जाते हैं.
    • इस अधिनियम को वर्ष 2018 में संशोधित कर प्रावधान किया गया था कि सांसदों के वेतन और दैनिक भत्ते में,1 अप्रैल 2023 से, हर पाँच साल में वृद्धि की जाएगी.

ओम बिड़ला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद ओम बिरला को ध्वनि मत से 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया. वह सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार थे. वह लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने वाले 17वें व्यक्ति हैं. ओम बिड़ला 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे.

मुख्य बिन्दु

  • तीन बार लोकसभा सदस्य रहे ओम बिड़ला 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में राजस्थान के कोटा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं.
  • वह दो बार लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालने वाले पांचवें व्यक्ति हैं. वह 2019 में 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष बने और दूसरी बार 18वीं लोकसभा अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने गए हैं.

लोकसभा का अध्यक्ष: एक दृष्टि

  • संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा के सदस्यों को सदन के सदस्यों में से एक को अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव करना होता है.
  • अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत से किया जाता है. साधारण बहुमत का अर्थ है मतदान के समय सदन में उपस्थित सदस्यों का बहुमत. अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के पद के लिए किसी शपथ का प्रावधान नहीं है.
  • गणेश वासुदेव मावलंकर लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे. पाँच व्यक्ति दो बार लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं: डॉ. नीलम संजीव रेड्डी, गुरदयाल सिंह ढिल्लों, बलराम जाखड़, जी.एम.सी बालयोगी और ओम बिड़ला.
  • अध्यक्ष के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने वाले पहले व्यक्ति मदाभुषि अनंतशयनम अयंगर थे. पूर्णो संगमा लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने वाले पहले विपक्षी दल के उम्मीदवार थे.
  • कांग्रेस के मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला हैं. अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल 9 वर्षों का बलराम जाखड़ का रहा है.

आम सहमति से चुने जाने की परंपरा

  • परंपरा के अनुसार, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच आम सहमति से चुना जाता है. लेकिन इस बार विपक्ष ने कांग्रेस पार्टी के के. सुरेश को अपना उम्मीदवार बनाया था.
  • यह तीसरी बार है जब लोकसभा अध्यक्ष चुनने के लिए लोकसभा में चुनाव हुआ है. लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए पहली बार चुनाव 1952 में पहले लोकसभा अध्यक्ष को चुनने के लिए हुआ था. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार गणेश वासुदेव मावलंकर ने विपक्षी उम्मीदवार शांताराम मोरे को 55 के मुकाबले 394 वोटों से हराया.
  • दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला 1967 में चौथी लोकसभा के दौरान हुआ. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी ने विपक्षी उम्मीदवार टेनेटी विश्वनाथन को हराया.
  • तीसरी बार लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव 1977 में पांचवीं लोकसभा के दौरान हुआ. बलिराम भगत ने जगन्नाथ राव जोशी को हराया.

संसद भवन में राष्ट्रीय युवा संसद उत्सव के अंतिम कार्यक्रम का आयोजन किया गया

नई दिल्ली में संसद भवन में 5-6 मार्च को ‘राष्ट्रीय युवा संसद उत्सव’ के अंतिम कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन युवा मामले और खेल मंत्रालय ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस वर्ष राष्ट्रीय युवा संसद का विषय ‘युवाओं की आवाज – राष्ट्र में बदलाव के लिए उन्हें शामिल और सशक्त करना’ था.
  • देश के 785 जिलों में तीन स्तरों पर युवा संसद का आयोजन किया गया था. जिला स्तर पर इसका आयोजन 9 फरवरी से 14 फरवरी तक किया गया.
  • जिला स्तर के विजेताओं ने 19 से 24 फरवरी के बीच राज्य स्तरीय युवा संसद में भाग लिया.
  • राज्य स्तर के 87 विजेता नई दिल्ली में राष्ट्रीय युवा संसद के अंतिम कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

19 सितम्बर से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही नये संसद भवन में शुरू हुई

संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही 19 सितम्बर से नये संसद भवन में शुरू हुई. यह संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18 से 21 सितम्बर तक के लिए संसद के विशेष सत्र बुलाया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरानी संसद का नाम ‘संविधान सदन’ रखने का प्रस्ताव रखा. बाद में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी.

नया संसद: एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री मोदी ने मई 2023 में नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया था. नया संसद भवन रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के नये भवन की आधारशिला 10 दिसम्‍बर 2020 को रखी थी.
  • नया संसद भवन त्रिकोणीय है जिसका निर्माण 65 हजार वर्ग मीटर में किया गया है. पर्यावरण अनुकूल होने के कारण इस भवन को प्लेटिनम रेटिंग दी गई है और यह भवन पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है.
  • लोकसभा चैम्बर को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर बनाया गया है, जहां की क्षमता 888 सीट है, वहीं राज्यसभा चैम्बर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है और इसमें 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. लोकसभा चैम्बर संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों को समायोजित करने में सक्षम होगा.

संविधान सदन (पुरानी संसद) का निर्माण: मुख्य तिथि

  • 12 फरवरी, 1921: ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ ने संसद भवन की आधारशिला रखी. उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ कहा जाता था.
  • 18 जनवरी, 1927: तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने संसद भवन का उद्घाटन किया.
  • 9 दिसंबर, 1946: संविधान सभा की पहली बैठक.
  • 14-15 अगस्त, 1947: संविधान सभा के मध्यरात्रि सत्र में सत्ता का हस्तांतरण.
  • 15 अगस्त, 1987: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय की नींव रखी.
  • 19 सितम्बर, 2023: इस संसद भवन का नाम ‘संविधान सदन’ रखा गया.

संसद का विशेष सत्र बुलाया गया, जानिए संवैधानिक तथ्य

18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. इसकी घोषणा संसदीय कार्य मंत्री प्रल्‍हाद जोशी ने 31 अगस्त को की थी.

यह मौजूदा 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा. इस सत्र के दौरान पांच बैठकें होंगी. फिलहाल, सरकार ने ताजा सत्र बुलाने को लेकर एजेंडा साफ नहीं किया है.

संसद का विशेष सत्र: एक दृष्टि

  • भारतीय संसद की तीन हिस्से हैं- राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा. राष्ट्रपति, दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) की दैनिक कार्यवाही का राष्ट्रपति हिस्सा नहीं होते हैं, लेकिन उनके पास सदनों को बुलाने और स्थगित करने का अधिकार होता है.
  • संसद का सत्र बुलाने का फैसला संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति करती है, जिसे राष्ट्रपति औपचारिक रूप देते हैं.
  • फिलहाल, भारत में संसद के तीन पारंपरिक सत्र होते हैं. इनमें बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र होते हैं.
  • संविधान में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत साल में कम से कम दो बार संसद की बैठक होनी चाहिए. साथ ही दोनों बैठकों के बीच 6 महीनों से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए.

28 मई को प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने नवनिर्मित संसद भवन को 28 मई को राष्ट्र को समर्पित कर दिया. इस ऐतिहासिक अवसर पर वे 75 रुपये का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए.

मुख्य बिन्दु

  • संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर अधीनम संत से भेंट की थी और उनका आशीर्वाद लिया.
  • अधीनम संतों ने श्री मोदी को सेंगोल सौंपा जिसे प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन में स्‍थापित किया है. अधीनम संत तमिलनाडु के गैर-ब्राह्मण शैव मठों में रहने वाले लोग हैं.
  • संसद के निर्माण में वैसे तो 60 हजार मजदूरों ने कार्य किया, लेकिन प्रतीक के रूप में इन 11 मजदूरों का सम्मान के लिए चयन किया गया था.

नया संसद: एक दृष्टि

  • नया संसद भवन रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के नये भवन की आधारशिला 10 दिसम्‍बर 2020 को रखी थी.
  • नया संसद भवन त्रिकोणीय है जिसका निर्माण 65 हजार वर्ग मीटर में किया गया है. पर्यावरण अनुकूल होने के कारण इस भवन को प्लेटिनम रेटिंग दी गई है और यह भवन पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है.
  • लोकसभा चैम्बर को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर बनाया गया है, जहां की क्षमता 888 सीट है, वहीं राज्यसभा चैम्बर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है और इसमें 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. लोकसभा चैम्बर संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों को समायोजित करने में सक्षम होगा.

भारतीय संसद का निर्माण: मुख्य तिथि

  • 12 फरवरी, 1921: ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ ने संसद भवन की आधारशिला रखी. उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ कहा जाता था.
  • 18 जनवरी, 1927: तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने संसद भवन का उद्घाटन किया.
  • 9 दिसंबर, 1946: संविधान सभा की पहली बैठक.
  • 14-15 अगस्त, 1947: संविधान सभा के मध्यरात्रि सत्र में सत्ता का हस्तांतरण.
  • 3 अगस्त, 1970: तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने संसदीय सौध की आधारशिला रखी.
  • 24 अक्टूबर, 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसदीय सौध का उद्घाटन किया.
  • 15 अगस्त, 1987: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय की नींव रखी.
  • 31 जुलाई, 2017: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय सौध के विस्तार किए गए हिस्से का उद्घाटन किया.
  • 10 दिसंबर, 2020: प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी.
  • 28 मई, 2023: प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया.

क्या है सेंगोल (Sengol)?

  • सेंगोल एक स्वर्ण परत वाला राजदण्ड है जिसे 28 मई 2023 को भारत के नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के आसन के पास स्थापित किया गया हैं. इसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा है.
  • सेंगोल को सदियों पहले से दक्षिण भारत की चेरा, चोला और पंड्या वंशों में सत्ता का हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता हैं. उस समय पुराना राजा नए राजा को इसे सौंपता था.
  • भारत की आजादी का हस्तांतरण सेंगोल द्वारा हुआ था. 14 अगस्त 1947 को स्वतन्त्रता प्राप्ति की घोषणा के पश्चात तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल सौंप दिया था. कुछ समय बाद में सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया था.
  • सेंगोल की लंबाई लगभग 5 फीट है. इसके शीर्ष पर नंदी की प्रतिमा उकेरी गई है. नंदी भगवान शिव का वाहन है, जिस कारण इसका जुड़ाव शैव परंपरा से प्रदर्शित होता है. नंदी को पुराणों में शक्ति-सम्पन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना गया हैं.

राष्‍ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक सेंट्रल विस्‍टा के बीच कर्त्‍तव्‍य पथ का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 8 सितम्बर को सेंट्रल विस्‍टा के राष्‍ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के मार्ग ‘कर्त्‍तव्‍य पथ’ का उद्घाटन किया. उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की मूर्ति का भी अनावरण किया.

कर्त्‍तव्‍य पथ: मुख्य बिन्दु

  • कर्त्‍तव्‍य पथ नाम इसके पूर्ववर्ती नाम ‘राजपथ’ को बदल किया गया है. राजपथ वह मार्ग है जहां 26 जनवरी की परेड होती है.
  • रायसीना हिल कॉम्प्लेक्स से इंडिया गेट तक चलने वाले इस औपचारिक बुलेवार्ड को पहली बार किंग्सवे के नाम से जाना जाता था. इसे ब्रिटिश राज द्वारा 1911 में कलकत्ता (अब कोलकाता) से अपनी राजधानी स्थानांतरित करने के बाद बनाया गया था. फिर स्वतंत्रता के बाद इसका नाम बदलकर ‘राजपथ’ कर दिया गया.

सुभाष चन्‍द्र बोस की प्रति‍मा का अनावरण

  • इंडिया गेट के निकट नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विशाल प्रति‍मा के अनावरण किया गया है. इस स्थान पर पहले ब्रिटेन के प्रतिनिधि की प्रतिमा थी.
  • नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की ग्रेनाइट की प्रति‍मा 28 फुट ऊंची है और इसे इंडिया गेट के निकट छतरी के नीचे लगाया गया है.
  • नेताजी सुभाष अखंड भारत के पहले प्रधान थे, जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था.

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन में राष्ट्रीय चिह्न का अनावरण किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया. इसे आठ अलग-अलग चरणों बनाया गया है. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है.

मुख्य बिन्दु

  • देश की नई संसद का निर्माण टाटा द्वारा किया जा रहा है. इस बार का शीतकालीन सत्र नई संसद में संचालित करने की योजना है. यानी दिसंबर 2022 से पहले नई संसद भवन का निर्माण अपेक्षित है.
  • शौर्य और साहस का यह प्रतीक चिह्न कांसे से बना है. इसका कुल वजन 9,500 किलोग्राम है. इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है.
  • राष्ट्रीय प्रतीक को सपोर्ट करने के लिए लगभग 6500 किलोग्राम वजनी स्टील की एक सहायक संरचना का निर्माण किया गया है.

भारत का राष्ट्रीय चिह्न: एक दृष्टि

  • भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ को 26 जनवरी 1950 को संविधान को अंगीकृत करते समय स्वीकृत किया गया था. यह मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ में बनवाये गए स्तंभ से लिया गया है.
  • इस स्तंभ के शिखर पर चार शेर खड़े हैं, जिनके मुंह चारों दिशाओं में हैं और उनका पिछला हिस्सा खंभों से जुड़ा हुआ है. संरचना के सामने इसमें धर्म चक्र (कानून का पहिया) भी है, जो भारत के प्रतीक शक्ति, हिम्मत, गर्व, और विश्वास को प्रदर्शित करता है.

केन्द्रीय मंत्री परिषद् का विस्तार, वर्तमान मंत्रिपरिषद और विभाग की पूरी सूची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जुलाई को केन्द्रीय मंत्री परिषद् का विस्तार किया था. यह प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला विस्तार था.

इस विस्तार में कुल 43 सदस्यों को मंत्री पद (केंद्रीय एवं केंद्रीय राज्य मंत्री) की शपथ दिलाई गई थी और कई विभागों में बदलाव किया गया.

कई मंत्रियों का इस्तीफा

मंत्री परिषद् के विस्तार से पहले कई मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर, डॉ. हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो और संतोष गंगवार समेत कई बड़े नाम शामिल हैं.

मंत्रियों की अधिकतम संख्या 81 हो सकती है

भारतीय संविधान के अनुसार, केंद्र/राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के 15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है. वर्तमान में लोकसभा में सदस्यों की कुल संख्या 543 है और इस हिसाब से कैबिनेट में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 81 हो सकती है.

वर्तमान मंत्रिपरिषद और विभाग

कैबिनेट मंत्री

  1. राजनाथ सिंह- रक्षा मंत्रालय
  2. अमित शाह- गृह मंत्री, सहकारिता मंत्री
  3. नितिन गडकरी- सड़क और परिवहन मंत्रालय
  4. निर्मला सीतारमण- वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री
  5. नरेंद्र सिंह तोमर- कृषि मंत्रालय
  6. एस जयशंकर- विदेश मंत्रालय
  7. अर्जुन मुंडा- आदिवासी कल्याण मंत्री
  8. स्मृति ईरानी- महिला एवं बाल विकास मंत्री
  9. पीयूष गोयल- वाणिज्य और उद्योग मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री और कपड़ा मंत्री
  10. धर्मेंद्र प्रधान- शिक्षा और स्वास्थ्य
  11. प्रहलाद जोशी- संसदीय कार्य मंत्री, कोयला मंत्री, खान मंत्री
  12. नारायण राणे-  सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय
  13. सर्बानंद सोनोवाल- बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री और आयुष मंत्री
  14. मुख्तार अब्बास नकवी- अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री
  15. डॉ. वीरेंद्र कुमार- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री
  16. गिरिराज सिंह- ग्रामीण विकास मंत्री और पंचायती राज मंत्री
  17. ज्योतिरादित्य सिंधिया- नागरिक उड्डयन मंत्रालय
  18. आरसीपी सिंह- इस्पात मंत्री
  19. अश्विनी वैष्णव- रेल मंत्री, संचार मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री
  20. पशुपति पारस- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री
  21. गजेंद्र सिंह शेखावत– जल शक्ति मंत्री
  22. किरण रिजीजू- कानून मंत्री, संस्कृति मंत्रालय
  23. आरके सिंह- उर्जा मंत्रालय
  24. हरदीप सिंह पुरी- पेट्रोलियम मंत्रालय
  25. मनसुख मंडाविया- स्वास्थ्य और रासायनिक उर्वरक मंत्रालय
  26. भूपेंद्र यादव- श्रम मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय
  27. महेंद्र नाथ पांडेय- भारी उद्योग मंत्री
  28. पुरुषोत्तम रुपाला- डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय
  29. जी किशन रेड्डी- पर्यटन मंत्रालय
  30. अनुराग ठाकुर- सूचना और प्रसारण मंत्रालय, युवा और खेल मंत्रालय भी

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

  1. राव इंद्रजीत सिंह – सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री
  2. डॉ. जितेंद्र सिंह – विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), PMO में राज्य मंत्री

राज्य मंत्री

  1. श्रीपद नाइक – बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री, साथ-साथ पर्यटन मंत्रालय में भी राज्य मंत्री
  2. फग्गनसिंह कुलस्ते – इस्पात मंत्रालय में राज्य मंत्री, और ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री
  3. प्रहलाद सिंह पटेल – जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री, और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री
  4. अश्विनी कुमार चौबे- उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री, और पर्यावरण, वनऔर जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री
  5. अर्जुन राम मेघवाल – संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री, और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री
  6. जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह – सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री, नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री
  7. कृष्ण पाल – विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री, भारी उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री
  8. दानवे रावसाहेब दादाराव – रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री, कोयला मंत्रालय में राज्य मंत्री, और खान मंत्रालय में राज्य मंत्री
  9. रामदास अठावले – सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री
  10. साध्वी निरंजन ज्योति – उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री, और ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री
  11. डॉ. संजीव कुमार बालियान – मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री
  12. नित्यानंद राय – गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री
  13. पंकज चौधरी – वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री
  14. अनुप्रिया सिंह पटेल – वाणिज्य मंत्रालय में राज्य मंत्री
  15. एसपी सिंह बघेल – कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री
  16. राजीव चंद्रशेखर – कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में राज्य मंत्री, और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्रीठ
  17. शोभा करंदलाजे – कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री
  18. भानु प्रताप सिंह वर्मा – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री़
  19. दर्शन विक्रम जरदोश – कपड़ा मंत्रालय में राज्य मंत्री, और रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री
  20. वी मुरलीधरन – विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री, और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री
  21. मीनाक्षी लेखी – विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री, और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री
  22. सोम प्रकाश – वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री
  23. रेणुका सिंह सरुता – जनजातीय मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री
  24. रामेश्वर तेली – पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री, और श्रम और रोजगार मंत्रालय में राज्य मंत्री
  25. कैलाश चौधरी – कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री
  26. अन्नपूर्णा देवी – शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री
  27. ए. नारायणस्वामी – सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री
  28. कौशल किशोर – आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री
  29. अजय भट्ट – रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री, और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री
  30. बीएल वर्मा – उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री, और सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री
  31. अजय कुमार – गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री
  32. देवुसिंह चौहान – संचार मंत्रालय में राज्य मंत्री
  33. भगवंत खुबा – नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री, रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री
  34. कपिल मोरेश्वर पाटिल – पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री
  35. प्रतिमा भौमिक – सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री
  36. डॉ. सुभाष सरकार – शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री
  37. डॉ. भागवत किशनराव कराड – वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री
  38. डॉ. राजकुमार रंजन सिंह – विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री, और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री
  39. डॉ. भारती प्रवीण पवार – स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री
  40. बिश्वेश्वर टुडू – जनजातीय मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री, और जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री
  41. शांतनु ठाकुर – बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री
  42. डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री, आयुष मंत्रालय में राज्य मंत्री
  43. जॉन बारला – अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री
  44. डॉ. एल. मुरुगन – मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री
  45. निसिथ प्रमाणिक – गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री, और युवा मामले और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री

भारत के नए संसद भवन की आधारशिला रखी गयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसम्बर को नए संसद भवन की आधारशिला रखी. इस संसद भवन का निर्माण नई दिल्ली में संसद मार्ग पर किया जायेगा. नये भवन के निर्माण पर 971 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इसके निर्माण का प्रस्‍ताव पिछले वर्ष 5 अगस्‍त‍ को राज्‍यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला ने राज्‍यसभा और लोकसभा की कार्यवाही के दौरान रखा था.

देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन अब काफी पुराना हो चुका है. सरकार चाहती है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें.

नया भवन त्रिकोणीय आकार का होगा जिसमें लोकसभा परिसर, मौजूदा परिसर से तीन गुना बड़ा होगा और राज्‍यसभा का आकार भी पहले के मुकाबले बड़ा होगा. नए भवन की सज्‍जा भारतीय संस्‍कृति और क्षेत्रीय कला, शिल्‍पतथा वास्‍तुकला के विविध रूपों के अनुरूप होगी.

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी. संसद भवन के निर्माण के लिए लगाई गई बोली के आधार पर यह कॉन्ट्रैक्ट टाटा को दिया गया था. टाटा ने निर्माण के लिए 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इस बोली में दूसरे स्थान पर रहे लार्सन एंड टुब्रो थे ने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

पुराना संसद भवन: एक दृष्टि

मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है. यह 1911 में बनना शुरू हुआ था और 1927 में इसका उद्घाटन हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी.

किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. पंचम ने नई राजधानी के निर्माण के लिए एडविन लुटियंस को नामित किया था. वर्तमान संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियंस ने ही डिजाइन किया था.

टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नए संसद भवन के निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया

टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नए संसद भवन के निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया है. संसद भवन के निर्माण के लिए लगाई गई बोली के आधार पर यह कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है. टाटा ने निर्माण के लिए 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इस बोली में दूसरे स्थान पर लार्सन एंड टुब्रो थे जिसने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

CPWD ने नए संसद भवन के निर्माण में 940 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान जताया था. प्रोजेक्‍ट के एक साल में पूरे होने की संभावना है. नई बिल्डिंग को त्रिकोणाकार में डिजाइन किया जाएगा.

देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन अब काफी पुराना हो चुका है. सरकार चाहती है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें.

पुराना संसद भवन: एक दृष्टि

मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है. यह 1911 में बनना शुरू हुआ था और 1927 में इसका उद्घाटन हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी.

किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. पंचम ने नई राजधानी के निर्माण के लिए एडविन लुटियंस को नामित किया था. वर्तमान संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियंस ने ही डिजाइन किया था.

अधीर रंजन चौधरी संसद के लोक लेखा समिति के अध्यक्ष चुने गए

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को संसद की लोक लेखा समिति (Parliament’s public accounts committee-PAC) के पुनः अध्यक्ष चुने गये हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी दलों की राय से उन्हें इस समिति का अध्यक्ष चुना है. परंपरा के तौर पर इस समिति के अध्यक्ष का पद विपक्षी दल के नेता को दिया जाता रहा है.

अध्यक्ष सहित इस समिति में लोकसभा और राज्यसभा के 20 सदस्य चुने गए हैं. इनमें लोकसभा से 15 और राज्यसभा से 5 सदस्य शामिल हैं. समिति का कार्यकाल 1 मई 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक रहेगा.

क्या है लोक लेखा समिति (PAC)?

  • लोक लेखा समिति (PAC) का काम सरकारी खर्चों के खातों की जांच करना है. जांच का आधार नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट होती है.
  • PAC की रिपोर्टों में सिफारिशें होती हैं जो तकनीकी रूप से सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होतीं. लेकिन, उन्हें गंभीरता से लिया जाता है और सरकार संसद में कार्रवाई नोट्स भी रखती है.
  • PAC संसद की सबसे पुरानी समिति है. इस समिति का प्रावधान 1921 में भारत सरकार अधिनियम 1919 में किया गया था.
  • PAC का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है. PAC के अध्यक्ष का चयन लोकसभा अध्यक्ष द्वारा विपक्षी दलों की राय से किया जाता है. इस समिति में अधिकतम 22 सदस्य हो सकते हैं.