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लोकसभा ने बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (पोक्सो) 2019 पारित किया

लोकसभा ने 1 अगस्त को बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (The Protection of Children from Sexual Offences Act- POCSO) 2019 पारित किया. राज्‍यसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. पोक्सो विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाले लोगों को मृत्यु दण्ड सहित सजा की अवधि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

बच्चों की अश्लील फिल्म बनाने पर रोक लगाने के लिए विधेयक में ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल तक की कैद की सजा और जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. दोबारा यही अपराध करने पर सात साल तक की सजा होगी और जुर्माना लगेगा. विधेय़क में बाल पोर्नोग्राफी को परिभाषित भी किया गया है.


गैर-कानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019 राज्यसभा से पारित

राज्यसभा ने 2 अगस्त को गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक (Unlawful Activities (Prevention) Amendment- UAPA) 2019 को पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. सदन ने इस विधेयक को 42 के मुकाबले 147 वोट से पारित किया. विधेयक में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम, 1967 में संशोधनों का प्रावधान है.

गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस संशोधन विधेयक के अंतर्गत केन्द्र सरकार को आतंकी गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार है. इससे पहले, सरकार सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी घोषित कर सकती थी.
  • इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) के महानिदेशक को भी यह अधिकार दिया गया है कि वे एजेंसी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में अभियुक्तों या संगठनों की सम्पत्ति की कुर्की का आदेश जारी कर सकते हैं.


राज्‍यसभा ने मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 को पारित किया

राज्‍यसभा ने 31 जुलाई को ‘मोटर वाहन संशोधन विधेयक (The Motor Vehicles Amendment Bill) 2019’ पारित कर दिया. इस विधेयक को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने प्रस्तुत किया था. विधेयक के पक्ष में 108, जबकि विरोध में 13 वोट पड़े. लोकसभा ने यह विधेयक पहले ही पारित कर चुकी थी. इस विधेयक को फिर से मंजूरी के लिए लोकसभा भेजा जाएगा, क्‍योंकि इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं. विधेयक में सड़क सुरक्षा के लिए मोटर वाहन कानून, 1988 में संशोधन का प्रावधान है. यह विधेयक यातायात नियमों के उल्‍लंघन के लिए जुर्माने में वृद्धि, थर्ड पार्टी बीमा मुद्दे का निपटारा और सड़क सुरक्षा से जुड़ा है.

मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस विधेयक में सड़क सुरक्षा में सुधार और यातायात को नियंत्रित करने में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने का प्रावधान है.
  • सड़क दुर्घटना में मृत्‍यु के मामले में मुआवजे की राशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के मामले में साढ़े बारह हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्‍ताव है.
  • विधेयक में सड़क दुर्घटनाओं के, पहले एक घंटे के भीतर पीडि़त के लिए नकदी रहित चिकित्‍सा सुविधा भी उपलब्‍ध कराना शामिल है.


राष्‍ट्रपति ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31 जुलाई को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ (The Muslim Women Protection of RIghts on Marriage Bill) को मंजूरी दे दी. इस विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्‍ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था. इस विधेयक में मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक बोलने को अपराध माना गया है.

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक संसद से पारित हो गया है और कानून बन गया है. यह कानून 21 फरवरी 2019 को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह लेगा. सरकार ने सितम्‍बर 2018 में और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक पर अध्‍यादेश जारी किया था. लोकसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक के राज्‍यसभा में लम्बित होने के कारण ये अध्‍यादेश लाने पड़े थे. यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा.

भारत से पहले विश्व के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पर प्रतिबंध है. तीन तलाक प्रतिबन्ध लगाने वाला विश्व का पहला देश मिस्र है.

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून: एक दृष्टि

  • इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने की कुप्रथा अमान्य और अवैध होने के साथ संज्ञेय अपराध बन जाएगी.
  • विधेयक में तीन तलाक को दण्डनीय अपराध ठहराया गया है और अपराधी को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.
  • मौखिक, लिखित यो किसी अन्य माध्यम से कोई पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
  • तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे. इस विधेयक में ये प्रावधान भी है कि अपराधी को जमानत देने से पहले मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला की सुनवाई करेगा.
  • जिस मुस्लिम महिला को तलाक दिया जाता है, अगर वह मजिस्ट्रेट से मुकदमा वापस लेने का अनुरोध करती है और मजिस्ट्रेट उसे स्वीकृति दे देता है तो मुकदमा वापस लिया जा सकता है.
  • विधेयक के अंतर्गत पीड़ित मुस्लिम महिला स्वयं और अपने बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है.


राज्‍यसभा ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को पारित किया

राज्‍यसभा ने 1 अगस्त को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (National Medical Commission Bill) 2019 को पारित कर दिया. लोकसभा से इसे पहले ही पारित किया जा चुका है. लेकिन राज्यसभा में कुछ संशोधनों की मंजूरी के बाद इसे फिर से लोकसभा की मंजूरी लेनी होगी. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने राज्यसभा में इस विधेयक को प्रस्तुत किया था.

यह विधेयक भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम 1956 का स्‍थान लेगा. इसका उद्देश्‍य चिकित्‍सा शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और इसे किफायती बनाना है. इस विधेयक से देश के सभी भागों में पर्याप्‍त और उच्‍च गुणवत्‍ता के चिकित्‍सक की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी.

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (NMC Bill): एक दृष्टि

  • विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा (नीट) का प्रावधान है. देश का प्रत्‍येक छात्र इस परीक्षा के माध्‍यम से एम्‍स और किसी भी अन्‍य चिकित्‍सा महाविद्यालय में जा सकता है.
  • मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए MBBS पाठ्यक्रम के अंतिम सत्र में एक संयुक्त परीक्षा नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’ का प्रस्ताव है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.
  • विधेयक में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है. इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है.
  • इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने का उल्लेख है.