22वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी, विधि आयोग संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग (22nd Law Commission) के गठन को मंजूरी दी है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 19 फरवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई. यह आयोग सरकार को जटिल कानूनी मुद्दों पर सलाह देगा. इस का कार्यकाल तीन वर्ष होगा.
22वें विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य और पदेन सदस्य के रूप में विधि मंत्रालय के विधायी विभाग सचिव पदेन सदस्य के रूप में होंगे. इसमें अधिकतम पांच अंशकालिक सदस्य भी होंगे.
21वां विधि आयोग
21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हुआ था. जस्टिस बीएस चौहान (सेवा निवृत्त) इस आयोग के अध्यक्ष थे. 21वें विधि आयोग ने जो अनुसंशा की थी, उनमें लोकसभा और विधानसभा का चुनाव साथ-साथ कराने तथा समान नागरिक संहिता शामिल है.
विधि आयोग: एक दृष्टि
- विधि आयोग भारत सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है.
- मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय आयोग के गठन संबंधी अधिसूचना जारी करता है.
- विधि आयोग का कार्य किसी न्याय-प्रणाली में कानूनों की स्थिति की समीक्षा करना तथा कानूनों में सुधार की शिफारिश करना है.
- आयोग का कार्यकाल अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से तीन साल तक के लिए होता है.
- अब तक गठित 21 विधि आयोगों ने 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं.
- आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त जज अथवा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस आयोग के अध्यक्ष होते हैं.
विधि आयोग का संक्षिप्त इतिहास
पहली बार विधि आयोग 1833 के चार्टर ऐक्ट के अंतर्गत 1834 में गठित किया गया था. इस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था. लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश संसद में भारत के लिए विधि आयोग के गठन पर बल दिया था. मैकाले इस आयोग अध्यक्ष थे.
भारत की स्वतंत्रता के बाद प्रथम विधि आयोग का गठन 5 अगस्त 1955 को भारतीय संसद में हुई थी. श्री मोतीलाल चिमणलाल सेटलवाड इस आयोग के अध्यक्ष थे. उनके अतिरिक्त 10 अन्य सदस्य थे. स्वतन्त्र भारत में अब तक 22 विधि आयोग बन चुके हैं.