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केन्द्रीय मंत्री परिषद ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्री परिषद ने 18 सितम्बर को ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (One Nation One Election) के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. इस उच्च स्तरीय समिति का गठन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • एक देश एक चुनाव (ONOE) का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हों. वोटर सांसद और विधायक चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर अपना वोट डाल सकेंगे.
  • देश में लोकसभा के प्रथम आम चुनाव और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित कराये गए थे. यह अभ्यास वर्ष 1957, 1962 और 1967 में आयोजित अगले तीन आम चुनावों में भी जारी रहा.
  • 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं तय समय से पहले भंग कर दी गई थीं. 1970 में लोकसभा भी समय से पहले भंग कर दी गई थी. इस कारण लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे.

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन

  • एक देश एक चुनाव की संभावनाओं पर विचार करने के लिए 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था.
  • इस समिति की सिफारिशों को ही केन्द्रीय मंत्री परिषद ने मंजूरी दी है. समिति ने यह रिपोर्ट 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी.
  • इस समिति के अन्य सदस्य थे: हरीश साल्वे, वरिष्ठ अधिवक्ता; अमित शाह, गृह मंत्री; अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेता; गुलाम नबी, डीपीए पार्टी; एनके सिंह, वित्त आयोग पूर्व अध्यक्ष; डॉ. सुभाष कश्यप, लोकसभा के पूर्व महासचिव; संजय कोठारी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त.

समिति के मुख्य सुझाव

  • सभी विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए.
  • पहले चरण में लोकसभा-विधानसभा चुनाव और फिर दूसरे चरण में 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.
  • चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान-पत्र बनाए.

‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ लागू होने के फायदे

  • चुनाव खर्च में कटौती: देश में बार-बार चुनाव कराने पर लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा और जनशक्ति समेत कई चीजों पर बहुत पैसा खर्च होता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुमानित कुल खर्च करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये थे.
  • राजनीतिक भ्रष्टाचार में कमी: प्रत्येक चुनाव के लिये उल्लेखनीय मात्रा में धन जुटाने की आवश्यकता होती है. इससे व्यापारिक समुदाय पर बार-बार चुनावी चंदा देने का दबाव भी कम हो जाएगा.
  • प्रशासनिक कार्य-क्षमता में वृद्धि: चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने से नीति निर्माण और विकास कार्यों में रुकावट आती है. अगर पांच साल में सिर्फ एक बार आचार संहिता लागू होगी तो स्वाभाविक है कि प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी.
  • संसाधनों का बेहतर उपयोग: देश में हर छह माह चुनाव होने पर प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षाबलों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है. एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकता है.
  • सतत विकास में मददगार: बार-बार चुनाव लोकलुभावन नीतियों को बढ़ावा देते हैं. एक साथ चुनाव लंबी अवधि की नीति योजना और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करने में मददगार साबित होंगे.
  • वोट प्रतिशत में वृद्धि: एक साथ चुनाव होने से मतदाता एक ही समय में कई वोट डाल सकते हैं, जिससे मतदाता भागीदारी में वृद्धि हो सकती है.

एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करने में चुनौतियां

  • देश में एक राष्‍ट्र एक चुनाव व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन करने की जरूरत पड़ेगी.
  • संविधान के अनुच्छेद 83(2) और 172 में क्रमशः लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिये पाँच वर्ष का कार्यकाल निर्दिष्ट किया गया है, यदि समय-पूर्व उनका विघटन नहीं हो जाए.
  • समय-पूर्व विघटन की स्थिति में पुनः चुनाव कराने या राष्ट्रपति शासन लगाने की दुविधा संवैधानिक ढाँचे को जटिल बनाती है.
  • कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा और सपा इसका विरोध कर रहे हैं. क्षेत्रीय दल को डर है कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे तो राष्ट्रीय मुद्दे प्रमुख हो जाएंगे और वे स्थानीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा नहीं पाएंगे.

निर्वाचन आयोग ने आम चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी की

निर्वाचन आयोग ने आम चुनाव 2024 की अधिसूचना (Lok Sabha Election 2024 Schedule) 16 मार्च को जारी की थी. ये अधिसूचना मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त (CEC) राजीव कुमार ने जारी किए. चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव की तारीखों की भी घोषणा की.

मुख्य बिन्दु

  • यह आम चुनाव, 18वीं लोकसभा के लिए होगा. मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है.
  • देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में वोट डाले जाएंगे. चुनाव की प्रक्रिया 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक चलेगी. जबकि मतगणना 4 जून को होगी. देश के तीन राज्य यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में सभी 7 चरणों में मतदान होगा.
  • 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होगी, जबकि दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां चरण 20 मई, छठवां चरण 25 मई और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा.
  • निर्वाचन आयोग के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 में रजिस्टर्ड मतदाता की संख्या 96.86 करोड़ है. इनमें पुरुष मतदाता की संख्या 49.72 करोड़ है और महिला मतदाता 47.15 करोड़ हैं. थर्ड जेंडर के कुल 48,044 मतदाता हैं.
  • 1.82 करोड़ वोटर्स लोग पहली बार वोट करेंगे. 100 साल से ज्‍यादा उम्र वाले वोटर्स की संख्या भी 2 लाख से ज्‍यादा है. देशभर में 10.5 लाख से ज्‍यादा पोलिंग बूथ हैं. इनपर 55 लाख से ज्‍यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की मदद से चुनाव कराए जाएंगे.

आदर्श आचार संहिता लागू

  • लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) भी लागू हो गई है. यह चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ लागू हो जाता है और परिणाम घोषित होने तक प्रभावी रहता है.
  • आदर्श आचार संहिता (MCC) चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण को विनियमित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों है.
  • MCC को सभी प्रतियोगियों के लिए समान अवसर प्रदान करके और चुनावी लाभ के लिए आधिकारिक मशीनरी के दुरुपयोग को रोककर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार नए चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए

सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को नया चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली उच्च-स्तरीय समिति ने चुनाव आयुक्तों के खाली पड़े दो पदों के लिए 14 मार्च को इनका चयन किया था.

मुख्य बिन्दु

  • तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बच गए थे. चुनाव आयुक्त के दो पद पूर्व चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे के रिटायर होने और अरुण गोयल के इस्तीफ़े के बाद खाली हुए थे.
  • ज्ञानेश कुमार साल 1988 बैच के केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. वे गृह मंत्रालय में अहम ज़िम्मेदारियां निभा चुके हैं.
  • उत्तराखंड कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सुखबीर सिंह संधू मूल रूप से पंजाब से आते हैं. वह उत्तराखंड के मुख्य सचिव पद पर रह चुके हैं.
  • चुनाव आयुक्त चयन समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, अर्जुनराम मेघवाल और अधीर रंजन चौधरी शामिल थे.

चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया

  • सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक फैसले में, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति में प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को शामिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक इस मामले पर संसद कोई कानून नहीं बना लेती.
  • दिसंबर 2023 में, सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 पारित किया, जिसमें सीजेआई को चयन समिति में शामिल नहीं किया गया.
  • इस अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगीं.
  • पहला कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे. इसके बाद इनके सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी. इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.
  • खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है. इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी.

निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दिया

निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने 9 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा जिन्होंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

अरुण गोयल के इस्तीफे से पहले फरवरी 2024 में एक अन्य निर्वाचन आयुक्त अनूप पांडे सेवनिवृत हो गए थे. तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं.

अरुण गोयल पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे. वह नवंबर 2022 में भारत निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे.

चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया

  • संसद ने दिसंबर 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम-2023 पारित किया था.
  • इस अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगीं.
  • पहला कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे. इसके बाद इनके सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी. इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.
  • खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है. इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी.

निर्वाचन आयुक्त नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल विधेयक 2023 पारित

संसद ने हाल ही में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) विधेयक (Chief Election Commissioner Appointment Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 21 दिसम्बर को जबकि राज्यसभा ने 12 दिसंबर को पारित किया था.

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून (अधिनियम) बन जाएगा. यह कानून चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह लेगा.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • विधेयक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्‍तों (EC) की नियुक्ति, वेतन और पद से हटाए जाने से जुडे प्रावधान शामिल किए गए हैं.
  • CEC और EC की नियुक्ति, चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति करेंगे. चयन समिति में अब प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की तरफ नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता शामिल होगा.
  • विधेयक में CEC और EC के पदों पर विचार करने के लिये पाँच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करने हेतु एक खोज समिति (Search Committee) की स्थापना का प्रस्ताव है.
  • खोज समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे और इसमें सचिव के पद से निम्न पद वाले दो सदस्य भी शामिल होंगे जिनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान तथा अनुभव होगा.
  • CEC और ECs को ड्यूटी करते समय कोई आदेश पारित करने पर अदालत में किसी तरह की कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त होगा.
  • CEC और ECs का वेतन एवं सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के सामान होंगी. 1991 के अधिनियम के तहत इनका वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर था. CEC और ECs का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा.
  • यह विधेयक वर्तमान संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 324 (5)) को बरकरार रखता है जो CEC को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह निष्कासन की अनुमति देता है, जबकि EC को केवल CEC की अनुशंसा पर हटाया जा सकता है.

निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया

निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया है. साथ ही आयोग ने तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है. निर्वाचन आयोग ने 10 अप्रैल को राष्ट्रीय पार्टियों की नई लिस्ट जारी की थी.

मुख्य बिन्दु

  • आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता की पात्रता शर्तों को पूरा किया है.
  • गुजरात में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता मिलने के बाद आम आदमी पार्टी चार राज्यों – दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय पार्टी बन गई है.
  • आयोग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है.
  • आयोग ने मणिपुर, गोवा और मेघालय में राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिला राज्य स्‍तरीय पार्टी का दर्जा भी वापस ले लिया है.

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कैसे मिलता है?

  • राष्ट्रीय पार्टी के आहर्ता के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग नियम 1968 का पालन किया जाता है.
  • जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज़्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है.
  • इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं. इसके अलावा उस पार्टी के कम से कम चार उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं. या, वह पार्टी कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर ले. या, वह पार्टी लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटें जीत जाए. वह जीते हुए उम्मीदवार तीन राज्यों से होने चाहिए.

राष्ट्रीय पार्टी को मिलने वाले मुख्य लाभ

  • राष्ट्रीय पार्टी को पूरे देश में एक चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने का मौका मिलता है. वह चुनाव चिह्न किसी भी दूसरे दल को नहीं दिया जाता.
  • चुनाव के वक़्त राष्ट्रीय पार्टियों को पब्लिक ब्रॉडकास्टर यानी दूरदर्शन के टीवी चैनल पर मुफ्त में चुनाव प्रचार करने का समय दिया जाता है.
  • इसके साथ ही राष्ट्रीय पार्टियों को सरकार की तरफ से दफ़्तर बनाने के लिए जमीन मुहैया करवाई जाती है.

शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और धनुष-तीर चुनाव चिन्ह आवंटित

निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और धनुष-तीर चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया है. पिछले वर्ष निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के धनुष और तीर के चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी और शिंदे तथा उद्धव गुट को अलग-अलग नाम और चुनाव चिन्ह दिए थे.

मुख्य बिन्दु

  • 2019 में एकनाथ शिंदे की बगावत और उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने के बाद से शिवसेना के दोनों गुट (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) पार्टी के नाम और सिंबल के लिए लड़ रहे थे.
  • उद्धव ठाकरे गुट “शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे” नाम और “मशाल” सिंबल रख सकता है.
  • आयोग ने 17 फ़रवरी को दिए अपने आदेश में कहा है कि श्री शिंदे को समर्थन देने वाले विधायकों को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्राप्त मतों का 76 प्रतिशत हिस्सा मिला था.
  • जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी. फिर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने थे. तभी से दोनों गुट शिवसेना के नाम और सिंबल पर अपना-अपना दावा कर रहे थे.

प्रौद्योगिकी के उपयोग और चुनाव शुचिता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रौद्योगिकी के उपयोग और चुनाव शुचिता पर 23-24 जनवरी को नई दिल्ली में दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था.

  • इसका आयोजन भारतीय निर्वाचन आयोग ने किया था. निर्वाचन आयोग ने इस विषय पर पहला सम्मेलन दिसम्बर 2021 में किया था.
  • इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने किया था. सम्मेलन में 17 देशों के 43 प्रतिनिधियों के भाग लिया.

सोलहवें राष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा, राष्ट्रपति का चुनाव से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने भारत के सोलहवें राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त राजीव कुमार ने इसकी घोषणा 9 जून को की। घोषणा के तहत मतदान 18 जुलाई को कराया जाएगा. राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्‍त हो रहा है.

राष्‍ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें लोकसभा, राज्‍यसभा और राज्‍य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्‍य शामिल होते हैं. इसमें दिल्ली और पुद्दुचेरी की विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल हैं. राष्ट्रपति का चुनाव से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी…»

निर्वाचन आयोग ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करेगा

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करने की बात कही है. इसके तहत निर्वाचन आयोग 100 लोकतांत्रिक देशों की साझेदारी से विभिन्न देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करेगा.

मुख्य बिंदु

  • चार सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे से मुलाकात की थी. इसमें चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया था कि वह दुनिया भर में चुनाव प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण कार्यक्रम और ऐसे अन्य निकायों की जरूरतों के अनुसार तकनीकी परामर्श प्रदान करें.
  • निर्वाचन आयोग ने बताया कि ‘लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन’ के तहत भारत से ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करने का अनुरोध किया गया. इसके साथ ही दुनिया के अन्य लोकतंत्रों के साथ अपने ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभवों को साझा करने का आह्वान किया गया.
  • निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया गया कि वह दुनियाभर में चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम और ऐसे अन्य निकायों की जरूरतों के अनुसार तकनीकी परामर्श प्रदान करे.
  • भारत के नेतृत्व वाले समूह में साझेदार बनने के लिए न्यूजीलैंड, फिनलैंड और यूरोपीय संघ ने रुचि व्यक्त की है और अन्य इच्छुक लोकतांत्रिक देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं.

राजीव कुमार नये मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त नियुक्त, सुशील चंद्रा का स्थान लेंगे

वरिष्ठ निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार को नया मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 12 मई को उनके नियुक्ति को मंजूरी दी. वह मौजूदा मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा का स्थान लेंगे. राजीव कुमार ने 1 सितंबर 2020 को निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला था.

भारत निर्वाचन आयोग और चुनाव आयुक्त का पद

  • भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है. संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं.
  • मूल संविधान में निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था. 1 अक्तूबर, 1993 को इसे तीन सदस्यीय आयोग वाला कर दिया गया. तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है.

निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों की मौजूदा चुनाव व्यय सीमा बढ़ाई

निर्वाचन आयोग ने संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों की मौजूदा चुनाव व्यय सीमा बढ़ाने का निर्णय किया है. यह आगामी सभी चुनावों में लागू होगी.

आयोग ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए उम्मीदवारों के लिये मौजूदा चुनाव व्यय सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया. इससे पहले वर्ष 2014 में चुनाव खर्च सीमा में संशोधन किया गया था, जिसे फिर वर्ष 2020 में 10 प्रतिशत बढ़ाया गया था.

मुख्य बिंदु

  • महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे बड़े राज्‍यों में संसदीय चुनाव खर्च सीमा 70 लाख से बढ़ाकर 95 लाख रुपए की गई है.
  • गोवा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के लिए यह सीमा 54 लाख से बढ़ाकर 75 लाख रुपए की गई है.
  • केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर में चुनाव व्यय सीमा बढ़ाकर 95 लाख रुपए की गयी है.
  • वहीं, बड़े राज्‍यों में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए व्यय सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए और छोटे राज्यों में 20 लाख से बढ़ाकर 28 लाख रुपए की गई है.