डेली कर्रेंट अफेयर्स
2 अगस्त 2025
भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा रत्नों को 127 साल बाद भारत लाया गया
- भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष (Sacred Piprahwa Relics) रत्नों को 127 साल बाद भारत लाया गया है. ये अवशेष 1898 में खोजे गए थे, लेकिन औपनिवेशिक काल के दौरान भारत से बाहर चले गए थे.
- ये रत्न न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के बौद्ध समुदाय के लिए अत्यधिक श्रद्धा और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं.
- पिपरहवा रत्नों की वापसी भारत की छवि को एक वैश्विक संरक्षक और बौद्ध मूल्यों जैसे शांति, करुणा व समावेशिता के संवाहक के रूप में और मजबूत करती है.
क्या हैं पिपरहवा अवशेष (Piprahwa Relics)?
- पिपरहवा अवशेष वो पवित्र वस्तुएं हैं जो वर्ष 1898 में ब्रिटिश अधिकारी विलियम क्लॉक्सटन पेप्पे द्वारा उत्तर प्रदेश के पिपरहवा स्तूप की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे.
- इनमें हड्डियों के टुकड़े, क्रिस्टल के पात्र, सोने के आभूषण और अन्य चढ़ावे शामिल थे, जो बौद्ध परंपरा के अनुसार स्तूप में रखे गए थे.
- ये अवशेष शाक्य वंश द्वारा भगवान बुद्ध के लिए समर्पित किए गए थे जो कि बुद्ध का ही परिवार था.
कैसे हुई वापसी?
- वर्ष 1899 में अधिकांश पिपरहवा अवशेष कोलकाता के इंडियन म्यूजियम को सौंप दिए गए थे, हालांकि कुछ हिस्से ब्रिटिश अधिकारी पेप्पे के परिवार के पास निजी रूप से रह गए थे.
- 2025 में ये अवशेष अचानक हांगकांग में सोथबी (Sotheby’s) नीलामी में सामने आए, जिसे देख कर भारत सरकार सतर्क हुई. चूंकि ये अवशेष भारत के कानून के अनुसार प्राचीन धरोहर हैं, इन्हें बेचना या भारत से बाहर ले जाना गैरकानूनी है.
- भारत इन अवशेषों को ‘AA’ पुरावशेषों के रूप में वर्गीकृत करता है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय कानून के तहत उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है.
- भारत के संस्कृति मंत्रालय ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया. कूटनीतिक और कानूनी प्रयासों से भारत ने नीलामी को रुकवाया और अवशेषों को सुरक्षित वापस लाया गया.
इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘निसार’ सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 जुलाई को ‘निसार’ उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया.
- यह प्रक्षेपण 30 जुलाई को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से किया गया.
- प्रक्षेपण में निसार उपग्रह को 747 किलोमीटर लंबी सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous orbit या SSO) में स्थापित किया गया. सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह सूर्य के सापेक्ष एक ही स्थिति में रहता है.
निसार उपग्रह (NISAR Satellite)
- निसार (NISAR) का पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Mission) है. यह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है. 2,393 किलोग्राम वजनी निसार मिशन का जीवनकाल पांच वर्ष है.
- इसरो और नासा की संयुक्त पहल
- निसार उपग्रह, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का संयुक्त उपग्रह मिशन है.
- दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों का यह पहल संयुक्त मिशन है जिसे संयुक्त रूप से विकसित किया है. इस मिशन की अनुमानित लागत 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 1.31 खरब रुपये) है.
- यह दुनिया का पहला द्वि-आवृत्ति सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह है. इसमें एल-बैंड और एस-बैंड, दोनों सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हुए हैं. एल-बैंड, नासा का और एस-बैंड, इसरो का है.
निसार उपग्रह की उपयोगिता
- निसार सभी मौसम में दिन और रात काम करने वाला उपग्रह है, जो 12 दिनों के अंतराल में पूरी पृथ्वी को अवलोकन करेगा.
- यह उपग्रह धरती की भूमि और बर्फ का 3D दृश्य उपलब्ध कराएगा. उपग्रह से प्राप्त डेटा भूकंप और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों पर लगातार नजर रखने में मदद करेगा.
- हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा.
- निसार चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदाओं के सटीक प्रबंधन में सहायता करेगा.
GSLV-F16
- निसार उपग्रह को GSLV-F16 MK-II प्रक्षेपण यान (रॉकेट) के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया था. इस रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. इसे इसरो ने विकसित किया है.
- GSLV का पूरा नाम भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) है. GSLV-F16 MK-II रॉकेट भारी उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम है.
संक्षिप्त सामयिक घटनाचक्र
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची को अंतिम रूप
निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची को अंतिम रूप दे दिया है. उपराष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य तथा लोकसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं.
ट्रक चालकों विश्राम देने के लिए ‘अपना घर योजना’
सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लगाने और ट्रक चालकों को लंबी यात्रा में विश्राम देने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘अपना घर योजना’ के अंतर्गत देशभर में बड़ी संख्या में विश्राम सुविधाएँ स्थापित की गई हैं. 1 जुलाई 2025 तक सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने राजमार्गों के किनारे कुल 368 अपना घर विश्राम सुविधाएँ स्थापित की हैं. इस योजना के अंतर्गत ट्रक चालक बहुत कम शुल्क देकर एयर कंडीशन कमरे में आराम कर सकते हैं.
सिक्किम औपचारिक विश्राम अवकाश योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना
सिक्किम औपचारिक विश्राम अवकाश योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इस योजना के जरिए सिक्किम के नियमित सरकारी कर्मचारी जिन्होंने कम से कम पाँच वर्ष तक निरंतर सेवा पूरी की है. उन्हें एक वर्ष से तीन वर्ष तक की छुट्टी लेने की अनुमति देती है और उनकी अनुपस्थिति के दौरान उन्हें उनके मूल वेतन का 50 प्रतिशत प्राप्त होता है.
अंडर-17 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप एथेंस में खेला जा रहा
अंडर-17 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप, एथेंस में खेला जा रहा है. 31 जुलाई को इस प्रतियोगिता में, भारतीय महिला पहलवानों ने दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते. रचना ने 43 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता. अश्विनी बिश्नोई ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में एक और स्वर्ण पदक जीता. मोनी और काजल ने रजत पदक जीता. कोमल वर्मा ने कांस्य पदक हासिल किया.