डेली कर्रेंट अफेयर्स
1 अगस्त 2025

यूपीएससी, एसएससी, बैंक, रेलवे सहित केंद्र एबं राज्य सरकारों द्वारा आयोजित सभी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उपयोगी.

इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘निसार’ सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 जुलाई को ‘निसार’ उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया.
  • यह प्रक्षेपण 30 जुलाई को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से किया गया.
  • प्रक्षेपण में निसार उपग्रह को 747 किलोमीटर लंबी सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous orbit या SSO) में स्थापित किया गया. सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह सूर्य के सापेक्ष एक ही स्थिति में रहता है.

निसार उपग्रह (NISAR Satellite)

  • निसार (NISAR) का पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Mission) है. यह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है. 2,393 किलोग्राम वजनी निसार मिशन का जीवनकाल पांच वर्ष है.
  • इसरो और नासा की संयुक्त पहल
  • निसार उपग्रह, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का संयुक्त उपग्रह मिशन है.
  • दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों का यह पहल संयुक्त मिशन है जिसे संयुक्त रूप से विकसित किया है. इस मिशन की अनुमानित लागत 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 1.31 खरब रुपये) है.
  • यह दुनिया का पहला द्वि-आवृत्ति सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह है. इसमें एल-बैंड और एस-बैंड, दोनों सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हुए हैं. एल-बैंड, नासा का और एस-बैंड, इसरो का है.

निसार उपग्रह की उपयोगिता

  • निसार सभी मौसम में दिन और रात काम करने वाला उपग्रह है, जो 12 दिनों के अंतराल में पूरी पृथ्वी को अवलोकन करेगा.
  • यह उपग्रह धरती की भूमि और बर्फ का 3D दृश्य उपलब्ध कराएगा. उपग्रह से प्राप्त डेटा भूकंप और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों पर लगातार नजर रखने में मदद करेगा.
  • हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा.
  • निसार चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदाओं के सटीक प्रबंधन में सहायता करेगा.

GSLV-F16

  • निसार उपग्रह को GSLV-F16 MK-II प्रक्षेपण यान (रॉकेट) के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया था. इस रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. इसे इसरो ने विकसित किया है.
  • GSLV का पूरा नाम भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) है. GSLV-F16 MK-II रॉकेट भारी उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम है.

भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा रत्नों को 127 साल बाद भारत लाया गया

  • भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष (Sacred Piprahwa Relics) रत्नों को 127 साल बाद भारत लाया गया है. ये अवशेष 1898 में खोजे गए थे, लेकिन औपनिवेशिक काल के दौरान भारत से बाहर चले गए थे.
  • ये रत्न न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के बौद्ध समुदाय के लिए अत्यधिक श्रद्धा और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं.‌
  • पिपरहवा रत्नों की वापसी भारत की छवि को एक वैश्विक संरक्षक और बौद्ध मूल्यों जैसे शांति, करुणा व समावेशिता के संवाहक के रूप में और मजबूत करती है.

क्या हैं पिपरहवा अवशेष (Piprahwa Relics)?

  • पिपरहवा अवशेष वो पवित्र वस्तुएं हैं जो वर्ष 1898 में ब्रिटिश अधिकारी विलियम क्लॉक्सटन पेप्पे द्वारा उत्तर प्रदेश के पिपरहवा स्तूप की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे.
  • इनमें हड्डियों के टुकड़े, क्रिस्टल के पात्र, सोने के आभूषण और अन्य चढ़ावे शामिल थे, जो बौद्ध परंपरा के अनुसार स्तूप में रखे गए थे.
  • ये अवशेष शाक्य वंश द्वारा भगवान बुद्ध के लिए समर्पित किए गए थे जो कि बुद्ध का ही परिवार था.

कैसे हुई वापसी?

  • वर्ष 1899 में अधिकांश पिपरहवा अवशेष कोलकाता के इंडियन म्यूजियम को सौंप दिए गए थे, हालांकि कुछ हिस्से ब्रिटिश अधिकारी पेप्पे के परिवार के पास निजी रूप से रह गए थे.
  • 2025 में ये अवशेष अचानक हांगकांग में सोथबी (Sotheby’s) नीलामी में सामने आए, जिसे देख कर भारत सरकार सतर्क हुई. चूंकि ये अवशेष भारत के कानून के अनुसार प्राचीन धरोहर हैं, इन्हें बेचना या भारत से बाहर ले जाना गैरकानूनी है.
  • भारत इन अवशेषों को ‘AA’ पुरावशेषों के रूप में वर्गीकृत करता है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय कानून के तहत उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है.
  • भारत के संस्कृति मंत्रालय ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया. कूटनीतिक और कानूनी प्रयासों से भारत ने नीलामी को रुकवाया और अवशेषों को सुरक्षित वापस लाया गया.

भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई का निधन

  • भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई का यूनाइटेड किंगडम में निधन हो गया. वह 85 वर्ष के थे. मेघनाद देसाई भारत-यूनाइटेड किंगडम संबंधों को मज़बूत करने में उनके योगदान के लिए जाने जाते थे.
  • मेघनाद देसाई का जन्म 1940 में गुजरात के वडोदरा में हुआ था. उच्च शिक्षा के लिए, वे अमेरिका चले गए थे. वे 1965 में प्रसिद्ध लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में संकाय सदस्य के रूप में शामिल हुए.
  • उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में मार्क्सवादी आर्थिक सिद्धांत, मार्क्स का प्रतिशोध, भारत की पुनर्खोज और भगवद् गीता किसने लिखी शामिल हैं.
  • मेघंद देसाई को 1991 में लेबर पार्टी द्वारा हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स का सदस्य नियुक्त किया गया था. वे लेबर पार्टी द्वारा ब्रिटिश संसद के उच्च सदन में नियुक्त होने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं.
  • उन्होंने भारत-यूनाइटेड किंगडम एकजुटता के प्रतीक के रूप में लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर पर महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

संक्षिप्त सामयिक घटनाचक्र

अमरीका के फेडरल रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया

अमरीका के फेडरल रिजर्व ने इस वर्ष पांचवी बार अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.  राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ब्याज दरों में कटौती की मांग की थी. फेडरल रिजर्व के फैसले से इसकी प्रमुख अल्पकालिक दर लगभग 4.3 प्रतिशत पर बनी हुई है. फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का प्रमुख कारण भारी-भरकम टैरिफ को बताया है.

मणिपुर ने पश्चिम बंगाल को हराकर डॉ बीसी रॉय ट्रॉफी जीती

मणिपुर ने फाइनल में गत चैंपियन पश्चिम बंगाल को हराकर डॉ बीसी रॉय ट्रॉफी 2025 (टियर 1) जीत ली है. इस प्रतियोगिता का फाइनल 30 जुलाई 2025 को अमृतसर में खेला गया था. यह ट्रॉफी 15 साल से कम उम्र के लड़कों के लिए है और इसमे अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के सदस्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की फुटबॉल टीम लेती हैं.

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को मंज़ूरी

लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 13 अगस्त 2025 से छह महीने के लिए बढ़ाने संबंधी वैधानिक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. मणिपुर में 13 फ़रवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. राष्ट्रपति शासन शुरू में छह महीने की अवधि के लिए होता है. बाद में, इसे हर छह महीने में संसदीय अनुमोदन से तीन साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है.